197625
विद्युत विभव निम्न समीकरण द्वारा दिया गया है\(V = 6x - 8x{y^2} - 8y + 6yz - 4{z^2}\)तो मूल बिन्दु पर रखे \(2\,C\) के आवेश पर लगने वाला बल......\(N\) होगा
दिये गये गोले से सम्बद्ध फ्लक्स \(\varphi = \frac{Q}{{{\varepsilon _o}}};\) यहाँ \(Q\) = गोले के द्वारा घेरा गया आवेश अत: \(Q = \varphi \varepsilon_o = (EA)\varepsilon_o\) \(Q = 4\pi (\gamma_o)^2 \times A \varepsilon_o \gamma_0 = 4\pi \varepsilon_o A \gamma_0^3.\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197644
\(40\) स्थैतिक कूलॉम बिन्दु आवेश से \(2\) सेमी की दूरी पर भू-संयोजित धातु की बड़ी प्लेट रखी गई है, तो बिन्दु आवेश पर लगने वाला आकर्षण बल .........डाइन है
1 \(100\)
2 \(160\)
3 \(1600\)
4 \(400\)
Explanation:
विद्युतीय प्रतिबिम्ब (Electrical image) के सिद्धान्त से यह माना जा सकता है कि समान किन्तु विपरीत आवेश प्लेट के दूसरी ओर समान दूरी पर रखा है अत: बल \(F = \frac{{40 \times 40}}{{{4^2}}} = 100\,dynes\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197627
\(R\) त्रिज्या के पतले अर्द्धवलय पर \(q\) आवेश एकसमान रूप से वितरित है। वलय के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र है
1 \(\frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
2 \(\frac{q}{{4{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
3 \(\frac{q}{{4\pi {\varepsilon _0}{R^2}}}\)
4 \(\frac{q}{{2\pi {\varepsilon _0}{R^2}}}\)
Explanation:
चित्र से \(dl = R d\theta \); \(dl\) पर आवेश = \(lR \,dq\) \(\left\{ {\lambda = \frac{q}{{\pi R}}} \right\}\) केन्द्र पर \(dl\) भाग के कारण विद्युत क्षेत्र \(dE = k.\frac{{\lambda Rd\theta }}{{{R^2}}}\) यदि एक समान एवं सममित अल्पांश \(dl'\) और लिया जाये तो \(dl\) और \(dl'\) दोनों भागों के कारण केन्द्र पर उत्पन विद्युत क्षेत्र के घटक \(dE\, sin\theta \) एक दूसरे को निरस्त कर देंगे एवं इनके \(dE\,\cos \theta ,\) घटक जुड़ जायेंगे। अत: केन्द्र पर कुल विद्युत क्षेत्र \( = 2\int_{\,0}^{\,\pi /2} {\,dE\,\cos \theta } \) \( = \frac{{2k\lambda }}{R}\int_{\,0}^{\,\pi /2} {\,\cos \theta \,d\,\theta } = \frac{{2k\lambda }}{R} = \frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\) दूसरी विधि : जैसा कि हम जानते है, किसी निश्चित लम्बाई के आवेशित तार के कारण उसके लम्बार्द्धक पर विद्युत क्षेत्र \(E = \frac{{2k\lambda }}{R}\sin \theta \) यदि इसे अर्धवृत्ताकार रूप में मोड़ दिया जाये तब \(q = 90°\) \(E = \frac{{2k\lambda }}{R}\) = \(2 \times \frac{1}{{4\pi {\varepsilon _0}}}\left( {\frac{{q/\pi R}}{R}} \right)\) = \(\frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
197625
विद्युत विभव निम्न समीकरण द्वारा दिया गया है\(V = 6x - 8x{y^2} - 8y + 6yz - 4{z^2}\)तो मूल बिन्दु पर रखे \(2\,C\) के आवेश पर लगने वाला बल......\(N\) होगा
दिये गये गोले से सम्बद्ध फ्लक्स \(\varphi = \frac{Q}{{{\varepsilon _o}}};\) यहाँ \(Q\) = गोले के द्वारा घेरा गया आवेश अत: \(Q = \varphi \varepsilon_o = (EA)\varepsilon_o\) \(Q = 4\pi (\gamma_o)^2 \times A \varepsilon_o \gamma_0 = 4\pi \varepsilon_o A \gamma_0^3.\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197644
\(40\) स्थैतिक कूलॉम बिन्दु आवेश से \(2\) सेमी की दूरी पर भू-संयोजित धातु की बड़ी प्लेट रखी गई है, तो बिन्दु आवेश पर लगने वाला आकर्षण बल .........डाइन है
1 \(100\)
2 \(160\)
3 \(1600\)
4 \(400\)
Explanation:
विद्युतीय प्रतिबिम्ब (Electrical image) के सिद्धान्त से यह माना जा सकता है कि समान किन्तु विपरीत आवेश प्लेट के दूसरी ओर समान दूरी पर रखा है अत: बल \(F = \frac{{40 \times 40}}{{{4^2}}} = 100\,dynes\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197627
\(R\) त्रिज्या के पतले अर्द्धवलय पर \(q\) आवेश एकसमान रूप से वितरित है। वलय के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र है
1 \(\frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
2 \(\frac{q}{{4{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
3 \(\frac{q}{{4\pi {\varepsilon _0}{R^2}}}\)
4 \(\frac{q}{{2\pi {\varepsilon _0}{R^2}}}\)
Explanation:
चित्र से \(dl = R d\theta \); \(dl\) पर आवेश = \(lR \,dq\) \(\left\{ {\lambda = \frac{q}{{\pi R}}} \right\}\) केन्द्र पर \(dl\) भाग के कारण विद्युत क्षेत्र \(dE = k.\frac{{\lambda Rd\theta }}{{{R^2}}}\) यदि एक समान एवं सममित अल्पांश \(dl'\) और लिया जाये तो \(dl\) और \(dl'\) दोनों भागों के कारण केन्द्र पर उत्पन विद्युत क्षेत्र के घटक \(dE\, sin\theta \) एक दूसरे को निरस्त कर देंगे एवं इनके \(dE\,\cos \theta ,\) घटक जुड़ जायेंगे। अत: केन्द्र पर कुल विद्युत क्षेत्र \( = 2\int_{\,0}^{\,\pi /2} {\,dE\,\cos \theta } \) \( = \frac{{2k\lambda }}{R}\int_{\,0}^{\,\pi /2} {\,\cos \theta \,d\,\theta } = \frac{{2k\lambda }}{R} = \frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\) दूसरी विधि : जैसा कि हम जानते है, किसी निश्चित लम्बाई के आवेशित तार के कारण उसके लम्बार्द्धक पर विद्युत क्षेत्र \(E = \frac{{2k\lambda }}{R}\sin \theta \) यदि इसे अर्धवृत्ताकार रूप में मोड़ दिया जाये तब \(q = 90°\) \(E = \frac{{2k\lambda }}{R}\) = \(2 \times \frac{1}{{4\pi {\varepsilon _0}}}\left( {\frac{{q/\pi R}}{R}} \right)\) = \(\frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
197625
विद्युत विभव निम्न समीकरण द्वारा दिया गया है\(V = 6x - 8x{y^2} - 8y + 6yz - 4{z^2}\)तो मूल बिन्दु पर रखे \(2\,C\) के आवेश पर लगने वाला बल......\(N\) होगा
दिये गये गोले से सम्बद्ध फ्लक्स \(\varphi = \frac{Q}{{{\varepsilon _o}}};\) यहाँ \(Q\) = गोले के द्वारा घेरा गया आवेश अत: \(Q = \varphi \varepsilon_o = (EA)\varepsilon_o\) \(Q = 4\pi (\gamma_o)^2 \times A \varepsilon_o \gamma_0 = 4\pi \varepsilon_o A \gamma_0^3.\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197644
\(40\) स्थैतिक कूलॉम बिन्दु आवेश से \(2\) सेमी की दूरी पर भू-संयोजित धातु की बड़ी प्लेट रखी गई है, तो बिन्दु आवेश पर लगने वाला आकर्षण बल .........डाइन है
1 \(100\)
2 \(160\)
3 \(1600\)
4 \(400\)
Explanation:
विद्युतीय प्रतिबिम्ब (Electrical image) के सिद्धान्त से यह माना जा सकता है कि समान किन्तु विपरीत आवेश प्लेट के दूसरी ओर समान दूरी पर रखा है अत: बल \(F = \frac{{40 \times 40}}{{{4^2}}} = 100\,dynes\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197627
\(R\) त्रिज्या के पतले अर्द्धवलय पर \(q\) आवेश एकसमान रूप से वितरित है। वलय के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र है
1 \(\frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
2 \(\frac{q}{{4{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
3 \(\frac{q}{{4\pi {\varepsilon _0}{R^2}}}\)
4 \(\frac{q}{{2\pi {\varepsilon _0}{R^2}}}\)
Explanation:
चित्र से \(dl = R d\theta \); \(dl\) पर आवेश = \(lR \,dq\) \(\left\{ {\lambda = \frac{q}{{\pi R}}} \right\}\) केन्द्र पर \(dl\) भाग के कारण विद्युत क्षेत्र \(dE = k.\frac{{\lambda Rd\theta }}{{{R^2}}}\) यदि एक समान एवं सममित अल्पांश \(dl'\) और लिया जाये तो \(dl\) और \(dl'\) दोनों भागों के कारण केन्द्र पर उत्पन विद्युत क्षेत्र के घटक \(dE\, sin\theta \) एक दूसरे को निरस्त कर देंगे एवं इनके \(dE\,\cos \theta ,\) घटक जुड़ जायेंगे। अत: केन्द्र पर कुल विद्युत क्षेत्र \( = 2\int_{\,0}^{\,\pi /2} {\,dE\,\cos \theta } \) \( = \frac{{2k\lambda }}{R}\int_{\,0}^{\,\pi /2} {\,\cos \theta \,d\,\theta } = \frac{{2k\lambda }}{R} = \frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\) दूसरी विधि : जैसा कि हम जानते है, किसी निश्चित लम्बाई के आवेशित तार के कारण उसके लम्बार्द्धक पर विद्युत क्षेत्र \(E = \frac{{2k\lambda }}{R}\sin \theta \) यदि इसे अर्धवृत्ताकार रूप में मोड़ दिया जाये तब \(q = 90°\) \(E = \frac{{2k\lambda }}{R}\) = \(2 \times \frac{1}{{4\pi {\varepsilon _0}}}\left( {\frac{{q/\pi R}}{R}} \right)\) = \(\frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
197625
विद्युत विभव निम्न समीकरण द्वारा दिया गया है\(V = 6x - 8x{y^2} - 8y + 6yz - 4{z^2}\)तो मूल बिन्दु पर रखे \(2\,C\) के आवेश पर लगने वाला बल......\(N\) होगा
दिये गये गोले से सम्बद्ध फ्लक्स \(\varphi = \frac{Q}{{{\varepsilon _o}}};\) यहाँ \(Q\) = गोले के द्वारा घेरा गया आवेश अत: \(Q = \varphi \varepsilon_o = (EA)\varepsilon_o\) \(Q = 4\pi (\gamma_o)^2 \times A \varepsilon_o \gamma_0 = 4\pi \varepsilon_o A \gamma_0^3.\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197644
\(40\) स्थैतिक कूलॉम बिन्दु आवेश से \(2\) सेमी की दूरी पर भू-संयोजित धातु की बड़ी प्लेट रखी गई है, तो बिन्दु आवेश पर लगने वाला आकर्षण बल .........डाइन है
1 \(100\)
2 \(160\)
3 \(1600\)
4 \(400\)
Explanation:
विद्युतीय प्रतिबिम्ब (Electrical image) के सिद्धान्त से यह माना जा सकता है कि समान किन्तु विपरीत आवेश प्लेट के दूसरी ओर समान दूरी पर रखा है अत: बल \(F = \frac{{40 \times 40}}{{{4^2}}} = 100\,dynes\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197627
\(R\) त्रिज्या के पतले अर्द्धवलय पर \(q\) आवेश एकसमान रूप से वितरित है। वलय के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र है
1 \(\frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
2 \(\frac{q}{{4{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)
3 \(\frac{q}{{4\pi {\varepsilon _0}{R^2}}}\)
4 \(\frac{q}{{2\pi {\varepsilon _0}{R^2}}}\)
Explanation:
चित्र से \(dl = R d\theta \); \(dl\) पर आवेश = \(lR \,dq\) \(\left\{ {\lambda = \frac{q}{{\pi R}}} \right\}\) केन्द्र पर \(dl\) भाग के कारण विद्युत क्षेत्र \(dE = k.\frac{{\lambda Rd\theta }}{{{R^2}}}\) यदि एक समान एवं सममित अल्पांश \(dl'\) और लिया जाये तो \(dl\) और \(dl'\) दोनों भागों के कारण केन्द्र पर उत्पन विद्युत क्षेत्र के घटक \(dE\, sin\theta \) एक दूसरे को निरस्त कर देंगे एवं इनके \(dE\,\cos \theta ,\) घटक जुड़ जायेंगे। अत: केन्द्र पर कुल विद्युत क्षेत्र \( = 2\int_{\,0}^{\,\pi /2} {\,dE\,\cos \theta } \) \( = \frac{{2k\lambda }}{R}\int_{\,0}^{\,\pi /2} {\,\cos \theta \,d\,\theta } = \frac{{2k\lambda }}{R} = \frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\) दूसरी विधि : जैसा कि हम जानते है, किसी निश्चित लम्बाई के आवेशित तार के कारण उसके लम्बार्द्धक पर विद्युत क्षेत्र \(E = \frac{{2k\lambda }}{R}\sin \theta \) यदि इसे अर्धवृत्ताकार रूप में मोड़ दिया जाये तब \(q = 90°\) \(E = \frac{{2k\lambda }}{R}\) = \(2 \times \frac{1}{{4\pi {\varepsilon _0}}}\left( {\frac{{q/\pi R}}{R}} \right)\) = \(\frac{q}{{2{\pi ^2}{\varepsilon _0}{R^2}}}\)