06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194480 ट्रान्सफॉर्मर की क्रोड पटलित बनाई जाती है, क्योंकि

1 प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों में विभवान्तर बढ़ जाता है
2 क्रोड को जंग लगने से बचाया जा सकता है
3 भँवर धाराओं के कारण ऊर्जा का अपव्यय रोका जाता है
4 फ्लक्स में परिवर्तन की वृद्धि होती है
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194483 एक ट्रांसफॉर्मर  \(220\) वोल्ट प्रत्यावती आरोपित विभवान्तर को बढ़ाकर \(2200\) वोल्ट करता है, यदि ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली में \(2000\) चक्कर हों, तो प्राथमिक कुण्डली में चक्करों की संख्या होगी

1 \(200\)
2 \(100\)
3 \(50\)
4 \(20\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194484 एक ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक और प्राथमिक कुण्डली में फेरों की संख्या का अनुपात \(3 : 2\) है, यदि द्वितीयक कुण्डली पर प्राप्त शक्ति \(P\) है, तो प्राथमिक कुण्डली पर शक्ति का मान होगा (ऊर्जा हानि नगण्य है)

1 \(5\,p\)
2 \(1.5 \,P\)
3 \(P\)
4 \(\frac{2}{5}\,P\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194399 यदि किसी कुण्डली के क्षेत्रफल के परिवर्तन की दर \(5\) मी \(^{2}\) मिली लीटर सैकण्ड हो एवं धारा \(2 \times {10^{ - 3}}\)सैकण्ड में \(1\) ऐम्पियर से \(2\) ऐम्पियर हो जाती हो तो इसका स्वप्रेरकत्व.......\(H\) होगा

1 \(2\)
2 \(5 \)
3 \(20\)
4 \(10\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194301 \(n\) फेरों तथा \(R \,Ω\) प्रतिरोध की किसी कुण्डली को \(4R\Omega \) प्रतिरोध के किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित किया गया है। इस संयोजन को \(W_1\) वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र से \(W_2\)  वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र में \(t\) सैकण्ड में ले जाया जाता है। परिपथ में प्रेरित धारा का मान होगा

1 \( - \frac{{{W_2} - {W_1}}}{{5\;Rnt}}\)
2 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{5\;Rt}}\)
3 \( - \frac{{({W_2} - {W_1})}}{{Rnt}}\)
4 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{Rt}}\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194480 ट्रान्सफॉर्मर की क्रोड पटलित बनाई जाती है, क्योंकि

1 प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों में विभवान्तर बढ़ जाता है
2 क्रोड को जंग लगने से बचाया जा सकता है
3 भँवर धाराओं के कारण ऊर्जा का अपव्यय रोका जाता है
4 फ्लक्स में परिवर्तन की वृद्धि होती है
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194483 एक ट्रांसफॉर्मर  \(220\) वोल्ट प्रत्यावती आरोपित विभवान्तर को बढ़ाकर \(2200\) वोल्ट करता है, यदि ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली में \(2000\) चक्कर हों, तो प्राथमिक कुण्डली में चक्करों की संख्या होगी

1 \(200\)
2 \(100\)
3 \(50\)
4 \(20\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194484 एक ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक और प्राथमिक कुण्डली में फेरों की संख्या का अनुपात \(3 : 2\) है, यदि द्वितीयक कुण्डली पर प्राप्त शक्ति \(P\) है, तो प्राथमिक कुण्डली पर शक्ति का मान होगा (ऊर्जा हानि नगण्य है)

1 \(5\,p\)
2 \(1.5 \,P\)
3 \(P\)
4 \(\frac{2}{5}\,P\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194399 यदि किसी कुण्डली के क्षेत्रफल के परिवर्तन की दर \(5\) मी \(^{2}\) मिली लीटर सैकण्ड हो एवं धारा \(2 \times {10^{ - 3}}\)सैकण्ड में \(1\) ऐम्पियर से \(2\) ऐम्पियर हो जाती हो तो इसका स्वप्रेरकत्व.......\(H\) होगा

1 \(2\)
2 \(5 \)
3 \(20\)
4 \(10\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194301 \(n\) फेरों तथा \(R \,Ω\) प्रतिरोध की किसी कुण्डली को \(4R\Omega \) प्रतिरोध के किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित किया गया है। इस संयोजन को \(W_1\) वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र से \(W_2\)  वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र में \(t\) सैकण्ड में ले जाया जाता है। परिपथ में प्रेरित धारा का मान होगा

1 \( - \frac{{{W_2} - {W_1}}}{{5\;Rnt}}\)
2 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{5\;Rt}}\)
3 \( - \frac{{({W_2} - {W_1})}}{{Rnt}}\)
4 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{Rt}}\)
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194480 ट्रान्सफॉर्मर की क्रोड पटलित बनाई जाती है, क्योंकि

1 प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों में विभवान्तर बढ़ जाता है
2 क्रोड को जंग लगने से बचाया जा सकता है
3 भँवर धाराओं के कारण ऊर्जा का अपव्यय रोका जाता है
4 फ्लक्स में परिवर्तन की वृद्धि होती है
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194483 एक ट्रांसफॉर्मर  \(220\) वोल्ट प्रत्यावती आरोपित विभवान्तर को बढ़ाकर \(2200\) वोल्ट करता है, यदि ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली में \(2000\) चक्कर हों, तो प्राथमिक कुण्डली में चक्करों की संख्या होगी

1 \(200\)
2 \(100\)
3 \(50\)
4 \(20\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194484 एक ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक और प्राथमिक कुण्डली में फेरों की संख्या का अनुपात \(3 : 2\) है, यदि द्वितीयक कुण्डली पर प्राप्त शक्ति \(P\) है, तो प्राथमिक कुण्डली पर शक्ति का मान होगा (ऊर्जा हानि नगण्य है)

1 \(5\,p\)
2 \(1.5 \,P\)
3 \(P\)
4 \(\frac{2}{5}\,P\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194399 यदि किसी कुण्डली के क्षेत्रफल के परिवर्तन की दर \(5\) मी \(^{2}\) मिली लीटर सैकण्ड हो एवं धारा \(2 \times {10^{ - 3}}\)सैकण्ड में \(1\) ऐम्पियर से \(2\) ऐम्पियर हो जाती हो तो इसका स्वप्रेरकत्व.......\(H\) होगा

1 \(2\)
2 \(5 \)
3 \(20\)
4 \(10\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194301 \(n\) फेरों तथा \(R \,Ω\) प्रतिरोध की किसी कुण्डली को \(4R\Omega \) प्रतिरोध के किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित किया गया है। इस संयोजन को \(W_1\) वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र से \(W_2\)  वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र में \(t\) सैकण्ड में ले जाया जाता है। परिपथ में प्रेरित धारा का मान होगा

1 \( - \frac{{{W_2} - {W_1}}}{{5\;Rnt}}\)
2 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{5\;Rt}}\)
3 \( - \frac{{({W_2} - {W_1})}}{{Rnt}}\)
4 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{Rt}}\)
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194480 ट्रान्सफॉर्मर की क्रोड पटलित बनाई जाती है, क्योंकि

1 प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों में विभवान्तर बढ़ जाता है
2 क्रोड को जंग लगने से बचाया जा सकता है
3 भँवर धाराओं के कारण ऊर्जा का अपव्यय रोका जाता है
4 फ्लक्स में परिवर्तन की वृद्धि होती है
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194483 एक ट्रांसफॉर्मर  \(220\) वोल्ट प्रत्यावती आरोपित विभवान्तर को बढ़ाकर \(2200\) वोल्ट करता है, यदि ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली में \(2000\) चक्कर हों, तो प्राथमिक कुण्डली में चक्करों की संख्या होगी

1 \(200\)
2 \(100\)
3 \(50\)
4 \(20\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194484 एक ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक और प्राथमिक कुण्डली में फेरों की संख्या का अनुपात \(3 : 2\) है, यदि द्वितीयक कुण्डली पर प्राप्त शक्ति \(P\) है, तो प्राथमिक कुण्डली पर शक्ति का मान होगा (ऊर्जा हानि नगण्य है)

1 \(5\,p\)
2 \(1.5 \,P\)
3 \(P\)
4 \(\frac{2}{5}\,P\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194399 यदि किसी कुण्डली के क्षेत्रफल के परिवर्तन की दर \(5\) मी \(^{2}\) मिली लीटर सैकण्ड हो एवं धारा \(2 \times {10^{ - 3}}\)सैकण्ड में \(1\) ऐम्पियर से \(2\) ऐम्पियर हो जाती हो तो इसका स्वप्रेरकत्व.......\(H\) होगा

1 \(2\)
2 \(5 \)
3 \(20\)
4 \(10\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194301 \(n\) फेरों तथा \(R \,Ω\) प्रतिरोध की किसी कुण्डली को \(4R\Omega \) प्रतिरोध के किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित किया गया है। इस संयोजन को \(W_1\) वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र से \(W_2\)  वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र में \(t\) सैकण्ड में ले जाया जाता है। परिपथ में प्रेरित धारा का मान होगा

1 \( - \frac{{{W_2} - {W_1}}}{{5\;Rnt}}\)
2 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{5\;Rt}}\)
3 \( - \frac{{({W_2} - {W_1})}}{{Rnt}}\)
4 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{Rt}}\)
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194480 ट्रान्सफॉर्मर की क्रोड पटलित बनाई जाती है, क्योंकि

1 प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों में विभवान्तर बढ़ जाता है
2 क्रोड को जंग लगने से बचाया जा सकता है
3 भँवर धाराओं के कारण ऊर्जा का अपव्यय रोका जाता है
4 फ्लक्स में परिवर्तन की वृद्धि होती है
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194483 एक ट्रांसफॉर्मर  \(220\) वोल्ट प्रत्यावती आरोपित विभवान्तर को बढ़ाकर \(2200\) वोल्ट करता है, यदि ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली में \(2000\) चक्कर हों, तो प्राथमिक कुण्डली में चक्करों की संख्या होगी

1 \(200\)
2 \(100\)
3 \(50\)
4 \(20\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194484 एक ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक और प्राथमिक कुण्डली में फेरों की संख्या का अनुपात \(3 : 2\) है, यदि द्वितीयक कुण्डली पर प्राप्त शक्ति \(P\) है, तो प्राथमिक कुण्डली पर शक्ति का मान होगा (ऊर्जा हानि नगण्य है)

1 \(5\,p\)
2 \(1.5 \,P\)
3 \(P\)
4 \(\frac{2}{5}\,P\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194399 यदि किसी कुण्डली के क्षेत्रफल के परिवर्तन की दर \(5\) मी \(^{2}\) मिली लीटर सैकण्ड हो एवं धारा \(2 \times {10^{ - 3}}\)सैकण्ड में \(1\) ऐम्पियर से \(2\) ऐम्पियर हो जाती हो तो इसका स्वप्रेरकत्व.......\(H\) होगा

1 \(2\)
2 \(5 \)
3 \(20\)
4 \(10\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194301 \(n\) फेरों तथा \(R \,Ω\) प्रतिरोध की किसी कुण्डली को \(4R\Omega \) प्रतिरोध के किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित किया गया है। इस संयोजन को \(W_1\) वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र से \(W_2\)  वेबर के चुम्बकीय क्षेत्र में \(t\) सैकण्ड में ले जाया जाता है। परिपथ में प्रेरित धारा का मान होगा

1 \( - \frac{{{W_2} - {W_1}}}{{5\;Rnt}}\)
2 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{5\;Rt}}\)
3 \( - \frac{{({W_2} - {W_1})}}{{Rnt}}\)
4 \( - \frac{{n({W_2} - {W_1})}}{{Rt}}\)