192178 यहाँ आरेख में, एक सोडियम-उत्सर्जक के लिये, आवृत्ति \((v)\) के फलन के रूप में, निराधी विभव \(V _{0}\) (वोल्ट में) के परिवर्तन को दर्शाया गया हैं। इस ग्राफ से सोडियम का कार्य - फलन प्राप्त होगा : (\(eV\) में)(प्लाँक स्थिरांक \(( h )=6.63 \times 10^{-34} \,Js\), इलेक्ट्रॉन आवेश \(e =1.6 \times 10^{-19}\, C)\)
192179 \(5\; W\) का एक स्रोत \(5000\;\mathring A\) तरंगदैर्ध्य के एकवर्णी प्रकाश का उत्सर्जन करता है। \(0.5\; m\) की दूरी पर रखने से यह एक प्रकाश संवेदी धात्विक तल से प्रकाशी इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। जब स्रोत को तल से \(1\;m\) की दूरी पर ले जाया जाएगा, तो विमुक्त प्रकाशी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
192181 तीव्रता \(6.4 \times 10^{-5} \,W / cm ^{2}\) वाले विधुत-चुम्बकीय विकिरण के एक किरणपुंज में तरंगदैर्ध्य \(\lambda=310 \,nm\) हैं। यह किरण पुंज एक धातु (कार्य फलन \(\varphi=2\, eV\) ) की सतह पर लम्बवत् \(1 \,cm ^{2}\) क्षेत्रफल पर पड रहा है। यदि सतह पर पडने वाले \(10^{3}\) फोटॉनों में से केवल एक फोटॉन एक इलैक्ट्रॉन को निष्कासित करता हो और \(1 \,s\) में निष्कासित इलेक्ट्रॉनों की संख्या \(10^{x}\) हो, तो \(x\) का मान है।\(\left( hc =1240 \, eVnm , 1 \,eV =1.6 \times 10^{-19} \,J \right)\)
192182 एक इलैक्ट्रॉन (द्रव्यमान \(m\) ) का प्रांरभिक वेग \(\overrightarrow{ v }= v _{0} \hat{ i }+ v _{0} \hat{ j }\) है तथा यह एक विधुत क्षेत्र \(\overrightarrow{ E }=- E _{0} \hat{ k }\) में है। यदि इलैक्ट्रॉन की डी-ब्रोग्ली तंरग का प्रांरभिक तरंगदैर्ध्य \(\lambda_{0}\) हो तो \(t\) समय के पश्चात इसका तरंगदैर्ध्य होगा।
192178 यहाँ आरेख में, एक सोडियम-उत्सर्जक के लिये, आवृत्ति \((v)\) के फलन के रूप में, निराधी विभव \(V _{0}\) (वोल्ट में) के परिवर्तन को दर्शाया गया हैं। इस ग्राफ से सोडियम का कार्य - फलन प्राप्त होगा : (\(eV\) में)(प्लाँक स्थिरांक \(( h )=6.63 \times 10^{-34} \,Js\), इलेक्ट्रॉन आवेश \(e =1.6 \times 10^{-19}\, C)\)
192179 \(5\; W\) का एक स्रोत \(5000\;\mathring A\) तरंगदैर्ध्य के एकवर्णी प्रकाश का उत्सर्जन करता है। \(0.5\; m\) की दूरी पर रखने से यह एक प्रकाश संवेदी धात्विक तल से प्रकाशी इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। जब स्रोत को तल से \(1\;m\) की दूरी पर ले जाया जाएगा, तो विमुक्त प्रकाशी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
192181 तीव्रता \(6.4 \times 10^{-5} \,W / cm ^{2}\) वाले विधुत-चुम्बकीय विकिरण के एक किरणपुंज में तरंगदैर्ध्य \(\lambda=310 \,nm\) हैं। यह किरण पुंज एक धातु (कार्य फलन \(\varphi=2\, eV\) ) की सतह पर लम्बवत् \(1 \,cm ^{2}\) क्षेत्रफल पर पड रहा है। यदि सतह पर पडने वाले \(10^{3}\) फोटॉनों में से केवल एक फोटॉन एक इलैक्ट्रॉन को निष्कासित करता हो और \(1 \,s\) में निष्कासित इलेक्ट्रॉनों की संख्या \(10^{x}\) हो, तो \(x\) का मान है।\(\left( hc =1240 \, eVnm , 1 \,eV =1.6 \times 10^{-19} \,J \right)\)
192182 एक इलैक्ट्रॉन (द्रव्यमान \(m\) ) का प्रांरभिक वेग \(\overrightarrow{ v }= v _{0} \hat{ i }+ v _{0} \hat{ j }\) है तथा यह एक विधुत क्षेत्र \(\overrightarrow{ E }=- E _{0} \hat{ k }\) में है। यदि इलैक्ट्रॉन की डी-ब्रोग्ली तंरग का प्रांरभिक तरंगदैर्ध्य \(\lambda_{0}\) हो तो \(t\) समय के पश्चात इसका तरंगदैर्ध्य होगा।
192178 यहाँ आरेख में, एक सोडियम-उत्सर्जक के लिये, आवृत्ति \((v)\) के फलन के रूप में, निराधी विभव \(V _{0}\) (वोल्ट में) के परिवर्तन को दर्शाया गया हैं। इस ग्राफ से सोडियम का कार्य - फलन प्राप्त होगा : (\(eV\) में)(प्लाँक स्थिरांक \(( h )=6.63 \times 10^{-34} \,Js\), इलेक्ट्रॉन आवेश \(e =1.6 \times 10^{-19}\, C)\)
192179 \(5\; W\) का एक स्रोत \(5000\;\mathring A\) तरंगदैर्ध्य के एकवर्णी प्रकाश का उत्सर्जन करता है। \(0.5\; m\) की दूरी पर रखने से यह एक प्रकाश संवेदी धात्विक तल से प्रकाशी इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। जब स्रोत को तल से \(1\;m\) की दूरी पर ले जाया जाएगा, तो विमुक्त प्रकाशी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
192181 तीव्रता \(6.4 \times 10^{-5} \,W / cm ^{2}\) वाले विधुत-चुम्बकीय विकिरण के एक किरणपुंज में तरंगदैर्ध्य \(\lambda=310 \,nm\) हैं। यह किरण पुंज एक धातु (कार्य फलन \(\varphi=2\, eV\) ) की सतह पर लम्बवत् \(1 \,cm ^{2}\) क्षेत्रफल पर पड रहा है। यदि सतह पर पडने वाले \(10^{3}\) फोटॉनों में से केवल एक फोटॉन एक इलैक्ट्रॉन को निष्कासित करता हो और \(1 \,s\) में निष्कासित इलेक्ट्रॉनों की संख्या \(10^{x}\) हो, तो \(x\) का मान है।\(\left( hc =1240 \, eVnm , 1 \,eV =1.6 \times 10^{-19} \,J \right)\)
192182 एक इलैक्ट्रॉन (द्रव्यमान \(m\) ) का प्रांरभिक वेग \(\overrightarrow{ v }= v _{0} \hat{ i }+ v _{0} \hat{ j }\) है तथा यह एक विधुत क्षेत्र \(\overrightarrow{ E }=- E _{0} \hat{ k }\) में है। यदि इलैक्ट्रॉन की डी-ब्रोग्ली तंरग का प्रांरभिक तरंगदैर्ध्य \(\lambda_{0}\) हो तो \(t\) समय के पश्चात इसका तरंगदैर्ध्य होगा।
192178 यहाँ आरेख में, एक सोडियम-उत्सर्जक के लिये, आवृत्ति \((v)\) के फलन के रूप में, निराधी विभव \(V _{0}\) (वोल्ट में) के परिवर्तन को दर्शाया गया हैं। इस ग्राफ से सोडियम का कार्य - फलन प्राप्त होगा : (\(eV\) में)(प्लाँक स्थिरांक \(( h )=6.63 \times 10^{-34} \,Js\), इलेक्ट्रॉन आवेश \(e =1.6 \times 10^{-19}\, C)\)
192179 \(5\; W\) का एक स्रोत \(5000\;\mathring A\) तरंगदैर्ध्य के एकवर्णी प्रकाश का उत्सर्जन करता है। \(0.5\; m\) की दूरी पर रखने से यह एक प्रकाश संवेदी धात्विक तल से प्रकाशी इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। जब स्रोत को तल से \(1\;m\) की दूरी पर ले जाया जाएगा, तो विमुक्त प्रकाशी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
192181 तीव्रता \(6.4 \times 10^{-5} \,W / cm ^{2}\) वाले विधुत-चुम्बकीय विकिरण के एक किरणपुंज में तरंगदैर्ध्य \(\lambda=310 \,nm\) हैं। यह किरण पुंज एक धातु (कार्य फलन \(\varphi=2\, eV\) ) की सतह पर लम्बवत् \(1 \,cm ^{2}\) क्षेत्रफल पर पड रहा है। यदि सतह पर पडने वाले \(10^{3}\) फोटॉनों में से केवल एक फोटॉन एक इलैक्ट्रॉन को निष्कासित करता हो और \(1 \,s\) में निष्कासित इलेक्ट्रॉनों की संख्या \(10^{x}\) हो, तो \(x\) का मान है।\(\left( hc =1240 \, eVnm , 1 \,eV =1.6 \times 10^{-19} \,J \right)\)
192182 एक इलैक्ट्रॉन (द्रव्यमान \(m\) ) का प्रांरभिक वेग \(\overrightarrow{ v }= v _{0} \hat{ i }+ v _{0} \hat{ j }\) है तथा यह एक विधुत क्षेत्र \(\overrightarrow{ E }=- E _{0} \hat{ k }\) में है। यदि इलैक्ट्रॉन की डी-ब्रोग्ली तंरग का प्रांरभिक तरंगदैर्ध्य \(\lambda_{0}\) हो तो \(t\) समय के पश्चात इसका तरंगदैर्ध्य होगा।
192178 यहाँ आरेख में, एक सोडियम-उत्सर्जक के लिये, आवृत्ति \((v)\) के फलन के रूप में, निराधी विभव \(V _{0}\) (वोल्ट में) के परिवर्तन को दर्शाया गया हैं। इस ग्राफ से सोडियम का कार्य - फलन प्राप्त होगा : (\(eV\) में)(प्लाँक स्थिरांक \(( h )=6.63 \times 10^{-34} \,Js\), इलेक्ट्रॉन आवेश \(e =1.6 \times 10^{-19}\, C)\)
192179 \(5\; W\) का एक स्रोत \(5000\;\mathring A\) तरंगदैर्ध्य के एकवर्णी प्रकाश का उत्सर्जन करता है। \(0.5\; m\) की दूरी पर रखने से यह एक प्रकाश संवेदी धात्विक तल से प्रकाशी इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। जब स्रोत को तल से \(1\;m\) की दूरी पर ले जाया जाएगा, तो विमुक्त प्रकाशी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
192181 तीव्रता \(6.4 \times 10^{-5} \,W / cm ^{2}\) वाले विधुत-चुम्बकीय विकिरण के एक किरणपुंज में तरंगदैर्ध्य \(\lambda=310 \,nm\) हैं। यह किरण पुंज एक धातु (कार्य फलन \(\varphi=2\, eV\) ) की सतह पर लम्बवत् \(1 \,cm ^{2}\) क्षेत्रफल पर पड रहा है। यदि सतह पर पडने वाले \(10^{3}\) फोटॉनों में से केवल एक फोटॉन एक इलैक्ट्रॉन को निष्कासित करता हो और \(1 \,s\) में निष्कासित इलेक्ट्रॉनों की संख्या \(10^{x}\) हो, तो \(x\) का मान है।\(\left( hc =1240 \, eVnm , 1 \,eV =1.6 \times 10^{-19} \,J \right)\)
192182 एक इलैक्ट्रॉन (द्रव्यमान \(m\) ) का प्रांरभिक वेग \(\overrightarrow{ v }= v _{0} \hat{ i }+ v _{0} \hat{ j }\) है तथा यह एक विधुत क्षेत्र \(\overrightarrow{ E }=- E _{0} \hat{ k }\) में है। यदि इलैक्ट्रॉन की डी-ब्रोग्ली तंरग का प्रांरभिक तरंगदैर्ध्य \(\lambda_{0}\) हो तो \(t\) समय के पश्चात इसका तरंगदैर्ध्य होगा।