(d) एलील्स, एलीलोमॉर्क का संक्षिप्त रूप है जो कि एक ही जीन के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करता है।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217905
'ऐलीलोमाॅर्फ' का तात्पर्य है
1 कोई दो लक्षण
2 एक जोड़ा विपरीत लक्षण
3 लिंग सहलग्र लक्षण
4 एक जोड़ा समान लक्षण
Explanation:
(b) जीवों में पाये जाने वाले भिन्न \((contrastic)\) लक्षणों के युग्म को युग्मविकल्पी कहते हैं।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217906
एलील्स होते हैं
1 एक जोड़ी जीन जो विशिष्ट लक्षण जैसे लम्बाई या बौनेपन का वहन करता है
2 जीन की बहुगुणित अवस्था
3 नेत्र लक्षणों को वहन करने वाली जीन्स
4 एलोसोम्स पर उपस्थित जीन्स
Explanation:
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217907
एलील्स जो स्वतन्त्र प्रभाव प्रदर्षित करते हैं, कहलाते हैं
1 सम्पूरक एलील्स
2 सहप्रभावी एलील्स
3 प्रबल एलील
4 पूरक एलील्स
Explanation:
(b) सहप्रभाविता में एक एलीलोमॉर्फिक जोडे़ के दोनों जीन्स \(F_1\) संकर में समान रूप से अभिव्यक्त होते हैं, और \(F_2\) पीढ़ी में जीन प्रारूप के साथ-साथ लक्षण प्रारूप \(1 : 2 : 1\) के अनुपात में प्राप्त होते हैं।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217908
जब कोई जीन एक से अधिक रूपों में उपस्थित रहता है तो विभिन्न रूपों को कहते हैं
1 विषमयुग्मजी
2 पूरक जीन
3 समजीनी \((Genotype)\)
4 युग्मविकल्पी \((Alleles)\)
Explanation:
(d) अधिक लम्बे \(TT\) और बौने \(tt\) एक ही जीन के दो एकान्तरित रूप हैं।
(d) एलील्स, एलीलोमॉर्क का संक्षिप्त रूप है जो कि एक ही जीन के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करता है।
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217905
'ऐलीलोमाॅर्फ' का तात्पर्य है
1 कोई दो लक्षण
2 एक जोड़ा विपरीत लक्षण
3 लिंग सहलग्र लक्षण
4 एक जोड़ा समान लक्षण
Explanation:
(b) जीवों में पाये जाने वाले भिन्न \((contrastic)\) लक्षणों के युग्म को युग्मविकल्पी कहते हैं।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217906
एलील्स होते हैं
1 एक जोड़ी जीन जो विशिष्ट लक्षण जैसे लम्बाई या बौनेपन का वहन करता है
2 जीन की बहुगुणित अवस्था
3 नेत्र लक्षणों को वहन करने वाली जीन्स
4 एलोसोम्स पर उपस्थित जीन्स
Explanation:
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217907
एलील्स जो स्वतन्त्र प्रभाव प्रदर्षित करते हैं, कहलाते हैं
1 सम्पूरक एलील्स
2 सहप्रभावी एलील्स
3 प्रबल एलील
4 पूरक एलील्स
Explanation:
(b) सहप्रभाविता में एक एलीलोमॉर्फिक जोडे़ के दोनों जीन्स \(F_1\) संकर में समान रूप से अभिव्यक्त होते हैं, और \(F_2\) पीढ़ी में जीन प्रारूप के साथ-साथ लक्षण प्रारूप \(1 : 2 : 1\) के अनुपात में प्राप्त होते हैं।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217908
जब कोई जीन एक से अधिक रूपों में उपस्थित रहता है तो विभिन्न रूपों को कहते हैं
1 विषमयुग्मजी
2 पूरक जीन
3 समजीनी \((Genotype)\)
4 युग्मविकल्पी \((Alleles)\)
Explanation:
(d) अधिक लम्बे \(TT\) और बौने \(tt\) एक ही जीन के दो एकान्तरित रूप हैं।
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05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217904
शब्द 'ऐलीलोमॉर्फ' किसने दिया
1 डी व्रीज
2 मॉर्गन
3 शेरमक
4 बेट्सन
Explanation:
(d) एलील्स, एलीलोमॉर्क का संक्षिप्त रूप है जो कि एक ही जीन के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करता है।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217905
'ऐलीलोमाॅर्फ' का तात्पर्य है
1 कोई दो लक्षण
2 एक जोड़ा विपरीत लक्षण
3 लिंग सहलग्र लक्षण
4 एक जोड़ा समान लक्षण
Explanation:
(b) जीवों में पाये जाने वाले भिन्न \((contrastic)\) लक्षणों के युग्म को युग्मविकल्पी कहते हैं।
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217906
एलील्स होते हैं
1 एक जोड़ी जीन जो विशिष्ट लक्षण जैसे लम्बाई या बौनेपन का वहन करता है
2 जीन की बहुगुणित अवस्था
3 नेत्र लक्षणों को वहन करने वाली जीन्स
4 एलोसोम्स पर उपस्थित जीन्स
Explanation:
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217907
एलील्स जो स्वतन्त्र प्रभाव प्रदर्षित करते हैं, कहलाते हैं
1 सम्पूरक एलील्स
2 सहप्रभावी एलील्स
3 प्रबल एलील
4 पूरक एलील्स
Explanation:
(b) सहप्रभाविता में एक एलीलोमॉर्फिक जोडे़ के दोनों जीन्स \(F_1\) संकर में समान रूप से अभिव्यक्त होते हैं, और \(F_2\) पीढ़ी में जीन प्रारूप के साथ-साथ लक्षण प्रारूप \(1 : 2 : 1\) के अनुपात में प्राप्त होते हैं।
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217908
जब कोई जीन एक से अधिक रूपों में उपस्थित रहता है तो विभिन्न रूपों को कहते हैं
1 विषमयुग्मजी
2 पूरक जीन
3 समजीनी \((Genotype)\)
4 युग्मविकल्पी \((Alleles)\)
Explanation:
(d) अधिक लम्बे \(TT\) और बौने \(tt\) एक ही जीन के दो एकान्तरित रूप हैं।
(d) एलील्स, एलीलोमॉर्क का संक्षिप्त रूप है जो कि एक ही जीन के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करता है।
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217905
'ऐलीलोमाॅर्फ' का तात्पर्य है
1 कोई दो लक्षण
2 एक जोड़ा विपरीत लक्षण
3 लिंग सहलग्र लक्षण
4 एक जोड़ा समान लक्षण
Explanation:
(b) जीवों में पाये जाने वाले भिन्न \((contrastic)\) लक्षणों के युग्म को युग्मविकल्पी कहते हैं।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217906
एलील्स होते हैं
1 एक जोड़ी जीन जो विशिष्ट लक्षण जैसे लम्बाई या बौनेपन का वहन करता है
2 जीन की बहुगुणित अवस्था
3 नेत्र लक्षणों को वहन करने वाली जीन्स
4 एलोसोम्स पर उपस्थित जीन्स
Explanation:
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217907
एलील्स जो स्वतन्त्र प्रभाव प्रदर्षित करते हैं, कहलाते हैं
1 सम्पूरक एलील्स
2 सहप्रभावी एलील्स
3 प्रबल एलील
4 पूरक एलील्स
Explanation:
(b) सहप्रभाविता में एक एलीलोमॉर्फिक जोडे़ के दोनों जीन्स \(F_1\) संकर में समान रूप से अभिव्यक्त होते हैं, और \(F_2\) पीढ़ी में जीन प्रारूप के साथ-साथ लक्षण प्रारूप \(1 : 2 : 1\) के अनुपात में प्राप्त होते हैं।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217908
जब कोई जीन एक से अधिक रूपों में उपस्थित रहता है तो विभिन्न रूपों को कहते हैं
1 विषमयुग्मजी
2 पूरक जीन
3 समजीनी \((Genotype)\)
4 युग्मविकल्पी \((Alleles)\)
Explanation:
(d) अधिक लम्बे \(TT\) और बौने \(tt\) एक ही जीन के दो एकान्तरित रूप हैं।
(d) एलील्स, एलीलोमॉर्क का संक्षिप्त रूप है जो कि एक ही जीन के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करता है।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217905
'ऐलीलोमाॅर्फ' का तात्पर्य है
1 कोई दो लक्षण
2 एक जोड़ा विपरीत लक्षण
3 लिंग सहलग्र लक्षण
4 एक जोड़ा समान लक्षण
Explanation:
(b) जीवों में पाये जाने वाले भिन्न \((contrastic)\) लक्षणों के युग्म को युग्मविकल्पी कहते हैं।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217906
एलील्स होते हैं
1 एक जोड़ी जीन जो विशिष्ट लक्षण जैसे लम्बाई या बौनेपन का वहन करता है
2 जीन की बहुगुणित अवस्था
3 नेत्र लक्षणों को वहन करने वाली जीन्स
4 एलोसोम्स पर उपस्थित जीन्स
Explanation:
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217907
एलील्स जो स्वतन्त्र प्रभाव प्रदर्षित करते हैं, कहलाते हैं
1 सम्पूरक एलील्स
2 सहप्रभावी एलील्स
3 प्रबल एलील
4 पूरक एलील्स
Explanation:
(b) सहप्रभाविता में एक एलीलोमॉर्फिक जोडे़ के दोनों जीन्स \(F_1\) संकर में समान रूप से अभिव्यक्त होते हैं, और \(F_2\) पीढ़ी में जीन प्रारूप के साथ-साथ लक्षण प्रारूप \(1 : 2 : 1\) के अनुपात में प्राप्त होते हैं।
05. PRINCIPLES OF INHERITANCE AND VARIATION (HM)
217908
जब कोई जीन एक से अधिक रूपों में उपस्थित रहता है तो विभिन्न रूपों को कहते हैं
1 विषमयुग्मजी
2 पूरक जीन
3 समजीनी \((Genotype)\)
4 युग्मविकल्पी \((Alleles)\)
Explanation:
(d) अधिक लम्बे \(TT\) और बौने \(tt\) एक ही जीन के दो एकान्तरित रूप हैं।