213186
प्राकृतिक पद्धति सिस्टेमा नेचुरी का संबंध है
1 सौर तंत्र से
2 पारितंत्र से
3 पौधों एवं जंतुओं के वर्गीकरण से
4 प्राकृतिक वरण से
Explanation:
01. THE LIVING WORLD (HM)
213206
विभिन्न जीओग्राफीकल क्षेत्रों में रहने वाली जातियाँ होती हैं
1 सिबलिंग जाति
2 मोर्फोजाति
3 सिम्पार्टिक जाति
4 एलोपार्टिक जाति
Explanation:
(d) विभिन्न भूगभ्रुईय क्षेत्रों में निवास करने वाली स्पीशीज एलोपैट्रिक स्पीशीज कहलाती है।
01. THE LIVING WORLD (HM)
213187
वर्गिकी के संस्थापक कौन हैं
1 अरस्तू
2 जॉन रे
3 हीकल
4 लीनियस
Explanation:
(a) अरस्तु (\(384 -322\, B.C\).) "जन्तु विज्ञान के जनक" हैं, इन्हें वर्गीकी का जनक भी माना गया है, क्योंकि इन्होंनें जन्तु जगत को दो समूह में विभाजित किया था जैसे -इनाइमा (वर्टीव्रेट लाल रक्त के साथ) तथा ऐनाइमा (इनवर्टीव्रेट लाल रक्त की अनुपस्थिति के साथ)
01. THE LIVING WORLD (HM)
213188
जंतुओं के वर्गीकरण में टेक्सॉन का अर्थ होता है
213186
प्राकृतिक पद्धति सिस्टेमा नेचुरी का संबंध है
1 सौर तंत्र से
2 पारितंत्र से
3 पौधों एवं जंतुओं के वर्गीकरण से
4 प्राकृतिक वरण से
Explanation:
01. THE LIVING WORLD (HM)
213206
विभिन्न जीओग्राफीकल क्षेत्रों में रहने वाली जातियाँ होती हैं
1 सिबलिंग जाति
2 मोर्फोजाति
3 सिम्पार्टिक जाति
4 एलोपार्टिक जाति
Explanation:
(d) विभिन्न भूगभ्रुईय क्षेत्रों में निवास करने वाली स्पीशीज एलोपैट्रिक स्पीशीज कहलाती है।
01. THE LIVING WORLD (HM)
213187
वर्गिकी के संस्थापक कौन हैं
1 अरस्तू
2 जॉन रे
3 हीकल
4 लीनियस
Explanation:
(a) अरस्तु (\(384 -322\, B.C\).) "जन्तु विज्ञान के जनक" हैं, इन्हें वर्गीकी का जनक भी माना गया है, क्योंकि इन्होंनें जन्तु जगत को दो समूह में विभाजित किया था जैसे -इनाइमा (वर्टीव्रेट लाल रक्त के साथ) तथा ऐनाइमा (इनवर्टीव्रेट लाल रक्त की अनुपस्थिति के साथ)
01. THE LIVING WORLD (HM)
213188
जंतुओं के वर्गीकरण में टेक्सॉन का अर्थ होता है
213186
प्राकृतिक पद्धति सिस्टेमा नेचुरी का संबंध है
1 सौर तंत्र से
2 पारितंत्र से
3 पौधों एवं जंतुओं के वर्गीकरण से
4 प्राकृतिक वरण से
Explanation:
01. THE LIVING WORLD (HM)
213206
विभिन्न जीओग्राफीकल क्षेत्रों में रहने वाली जातियाँ होती हैं
1 सिबलिंग जाति
2 मोर्फोजाति
3 सिम्पार्टिक जाति
4 एलोपार्टिक जाति
Explanation:
(d) विभिन्न भूगभ्रुईय क्षेत्रों में निवास करने वाली स्पीशीज एलोपैट्रिक स्पीशीज कहलाती है।
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वर्गिकी के संस्थापक कौन हैं
1 अरस्तू
2 जॉन रे
3 हीकल
4 लीनियस
Explanation:
(a) अरस्तु (\(384 -322\, B.C\).) "जन्तु विज्ञान के जनक" हैं, इन्हें वर्गीकी का जनक भी माना गया है, क्योंकि इन्होंनें जन्तु जगत को दो समूह में विभाजित किया था जैसे -इनाइमा (वर्टीव्रेट लाल रक्त के साथ) तथा ऐनाइमा (इनवर्टीव्रेट लाल रक्त की अनुपस्थिति के साथ)
01. THE LIVING WORLD (HM)
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जंतुओं के वर्गीकरण में टेक्सॉन का अर्थ होता है
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01. THE LIVING WORLD (HM)
213186
प्राकृतिक पद्धति सिस्टेमा नेचुरी का संबंध है
1 सौर तंत्र से
2 पारितंत्र से
3 पौधों एवं जंतुओं के वर्गीकरण से
4 प्राकृतिक वरण से
Explanation:
01. THE LIVING WORLD (HM)
213206
विभिन्न जीओग्राफीकल क्षेत्रों में रहने वाली जातियाँ होती हैं
1 सिबलिंग जाति
2 मोर्फोजाति
3 सिम्पार्टिक जाति
4 एलोपार्टिक जाति
Explanation:
(d) विभिन्न भूगभ्रुईय क्षेत्रों में निवास करने वाली स्पीशीज एलोपैट्रिक स्पीशीज कहलाती है।
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वर्गिकी के संस्थापक कौन हैं
1 अरस्तू
2 जॉन रे
3 हीकल
4 लीनियस
Explanation:
(a) अरस्तु (\(384 -322\, B.C\).) "जन्तु विज्ञान के जनक" हैं, इन्हें वर्गीकी का जनक भी माना गया है, क्योंकि इन्होंनें जन्तु जगत को दो समूह में विभाजित किया था जैसे -इनाइमा (वर्टीव्रेट लाल रक्त के साथ) तथा ऐनाइमा (इनवर्टीव्रेट लाल रक्त की अनुपस्थिति के साथ)
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जंतुओं के वर्गीकरण में टेक्सॉन का अर्थ होता है
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प्राकृतिक पद्धति सिस्टेमा नेचुरी का संबंध है
1 सौर तंत्र से
2 पारितंत्र से
3 पौधों एवं जंतुओं के वर्गीकरण से
4 प्राकृतिक वरण से
Explanation:
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विभिन्न जीओग्राफीकल क्षेत्रों में रहने वाली जातियाँ होती हैं
1 सिबलिंग जाति
2 मोर्फोजाति
3 सिम्पार्टिक जाति
4 एलोपार्टिक जाति
Explanation:
(d) विभिन्न भूगभ्रुईय क्षेत्रों में निवास करने वाली स्पीशीज एलोपैट्रिक स्पीशीज कहलाती है।
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वर्गिकी के संस्थापक कौन हैं
1 अरस्तू
2 जॉन रे
3 हीकल
4 लीनियस
Explanation:
(a) अरस्तु (\(384 -322\, B.C\).) "जन्तु विज्ञान के जनक" हैं, इन्हें वर्गीकी का जनक भी माना गया है, क्योंकि इन्होंनें जन्तु जगत को दो समूह में विभाजित किया था जैसे -इनाइमा (वर्टीव्रेट लाल रक्त के साथ) तथा ऐनाइमा (इनवर्टीव्रेट लाल रक्त की अनुपस्थिति के साथ)
01. THE LIVING WORLD (HM)
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जंतुओं के वर्गीकरण में टेक्सॉन का अर्थ होता है