05. SURFACE CHEMISTRY (HM)
05. SURFACE CHEMISTRY (HM)

206961 काष्ठ चारकोल का प्रयोग शर्करा को रंगहीन करने में होता है क्योंकि यह

1 रंगीन-पदार्थ को अधिशोषित करता है
2 रंगहीन पदार्थों को अवशोषित करता है
3 रंगीन पदार्थों का अपचयन करता है
4 इनमें से कोई नहीं
05. SURFACE CHEMISTRY (HM)

206962 यदि अवशोष्य सतह पर दुर्बल वाण्डरवॉल बलों से जुड़ा हो तो अधिशोषण प्रक्रिया कहलाती है

1 भौतिक अधिशोषण
2 रासायनिक अधिशोषण
3 अधिशोषण ऊष्मा
4 अधिशोषण एनील्पी adsorption
05. SURFACE CHEMISTRY (HM)

206963 ताप-वृद्धि पर द्रव की श्यानता घटती है क्योंकि

1 विलयन का आयतन घटता है
2 अणुओं का ताप बढ़ने पर उनकी औसत गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। जिससे उनके आकर्षण बल दुर्बल हो जाते हैं
3 सहसंयोजी एवं हाइड्रोजन बन्ध दुर्बल हो जाते हैं।
4 अणुओं के बीच आकर्षण बढ़ता है
05. SURFACE CHEMISTRY (HM)

206964 कोई ठोस एक अधिशोषक के रूप में इसलिये कार्य करता है क्योंकि

1 उसका एक निश्चित आकार होता है
2 उसमें छोटे छिद्र होते हैं
3 उसमें असंतृप्त संयोजकताएँ होती हैं
4 उसकी एक उच्च जालक ऊर्जा होती है
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206961 काष्ठ चारकोल का प्रयोग शर्करा को रंगहीन करने में होता है क्योंकि यह

1 रंगीन-पदार्थ को अधिशोषित करता है
2 रंगहीन पदार्थों को अवशोषित करता है
3 रंगीन पदार्थों का अपचयन करता है
4 इनमें से कोई नहीं
05. SURFACE CHEMISTRY (HM)

206962 यदि अवशोष्य सतह पर दुर्बल वाण्डरवॉल बलों से जुड़ा हो तो अधिशोषण प्रक्रिया कहलाती है

1 भौतिक अधिशोषण
2 रासायनिक अधिशोषण
3 अधिशोषण ऊष्मा
4 अधिशोषण एनील्पी adsorption
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206963 ताप-वृद्धि पर द्रव की श्यानता घटती है क्योंकि

1 विलयन का आयतन घटता है
2 अणुओं का ताप बढ़ने पर उनकी औसत गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। जिससे उनके आकर्षण बल दुर्बल हो जाते हैं
3 सहसंयोजी एवं हाइड्रोजन बन्ध दुर्बल हो जाते हैं।
4 अणुओं के बीच आकर्षण बढ़ता है
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206964 कोई ठोस एक अधिशोषक के रूप में इसलिये कार्य करता है क्योंकि

1 उसका एक निश्चित आकार होता है
2 उसमें छोटे छिद्र होते हैं
3 उसमें असंतृप्त संयोजकताएँ होती हैं
4 उसकी एक उच्च जालक ऊर्जा होती है
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05. SURFACE CHEMISTRY (HM)

206961 काष्ठ चारकोल का प्रयोग शर्करा को रंगहीन करने में होता है क्योंकि यह

1 रंगीन-पदार्थ को अधिशोषित करता है
2 रंगहीन पदार्थों को अवशोषित करता है
3 रंगीन पदार्थों का अपचयन करता है
4 इनमें से कोई नहीं
05. SURFACE CHEMISTRY (HM)

206962 यदि अवशोष्य सतह पर दुर्बल वाण्डरवॉल बलों से जुड़ा हो तो अधिशोषण प्रक्रिया कहलाती है

1 भौतिक अधिशोषण
2 रासायनिक अधिशोषण
3 अधिशोषण ऊष्मा
4 अधिशोषण एनील्पी adsorption
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206963 ताप-वृद्धि पर द्रव की श्यानता घटती है क्योंकि

1 विलयन का आयतन घटता है
2 अणुओं का ताप बढ़ने पर उनकी औसत गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। जिससे उनके आकर्षण बल दुर्बल हो जाते हैं
3 सहसंयोजी एवं हाइड्रोजन बन्ध दुर्बल हो जाते हैं।
4 अणुओं के बीच आकर्षण बढ़ता है
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206964 कोई ठोस एक अधिशोषक के रूप में इसलिये कार्य करता है क्योंकि

1 उसका एक निश्चित आकार होता है
2 उसमें छोटे छिद्र होते हैं
3 उसमें असंतृप्त संयोजकताएँ होती हैं
4 उसकी एक उच्च जालक ऊर्जा होती है
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206961 काष्ठ चारकोल का प्रयोग शर्करा को रंगहीन करने में होता है क्योंकि यह

1 रंगीन-पदार्थ को अधिशोषित करता है
2 रंगहीन पदार्थों को अवशोषित करता है
3 रंगीन पदार्थों का अपचयन करता है
4 इनमें से कोई नहीं
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1 भौतिक अधिशोषण
2 रासायनिक अधिशोषण
3 अधिशोषण ऊष्मा
4 अधिशोषण एनील्पी adsorption
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1 विलयन का आयतन घटता है
2 अणुओं का ताप बढ़ने पर उनकी औसत गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। जिससे उनके आकर्षण बल दुर्बल हो जाते हैं
3 सहसंयोजी एवं हाइड्रोजन बन्ध दुर्बल हो जाते हैं।
4 अणुओं के बीच आकर्षण बढ़ता है
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206964 कोई ठोस एक अधिशोषक के रूप में इसलिये कार्य करता है क्योंकि

1 उसका एक निश्चित आकार होता है
2 उसमें छोटे छिद्र होते हैं
3 उसमें असंतृप्त संयोजकताएँ होती हैं
4 उसकी एक उच्च जालक ऊर्जा होती है