198388 \(50\) स्वरित्रों को उनकी आवृत्तियों के बढ़ते हुए क्रम में इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है, कि प्रत्येक स्वरित्र अपने पूर्ववति स्वरित्र के साथ \(4\) विस्पंद प्रति सेंकड उत्पन्न करता है। यदि अंतिम स्वरित्र की आवृत्ति प्रथम स्वरित्र की दो गुनी हो, तब प्रथम स्वरित्र की आवृत्ति है .... \(Hz\)
198390 \(1.5 m\) लम्बी एक कॉच की नलिका दोनों सिरों से खुली है इसे ऊध्र्वाधरत: पानी के एक टैंक में पूर्णत: डुबोया गया है \(660 Hz\) आवृत्ति उत्पन्न करने वाले एक स्वरित्र को नली के ऊपरी सिरे पर रखकर कम्पित कराया जाता है एवं नली को धीरे धीरे जल से बाहर निकाला जाता है। नली के पूर्णत: बाहर आते आते कितनी बार अनुनाद की स्थितियाँ प्राप्त होगी (वायु में ध्वनि की चाल \(330m/sec\) लें)
198388 \(50\) स्वरित्रों को उनकी आवृत्तियों के बढ़ते हुए क्रम में इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है, कि प्रत्येक स्वरित्र अपने पूर्ववति स्वरित्र के साथ \(4\) विस्पंद प्रति सेंकड उत्पन्न करता है। यदि अंतिम स्वरित्र की आवृत्ति प्रथम स्वरित्र की दो गुनी हो, तब प्रथम स्वरित्र की आवृत्ति है .... \(Hz\)
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