197600
\(2\,\mu F\) तथा \(3\,\mu F\) वाले संधारित्र श्रेणीक्रम में हैं। प्रथम संधारित्र की बाहरी प्लेट \(1000\, volt\) पर तथा द्वितीय संधारित्र की बाहरी प्लेट भू-सम्पर्कित हैं। प्रत्येक संधारित्र की अन्दर वाली प्लेट का विभव .......\(Volt\) है
197601
निम्न चित्र में बिन्दु \(A\) को $+$ \(1200\, V\) का विभव दिया जाता है एवं \(B\) को भू-सम्पर्कित किया जाता है। बिन्दु \(P\) का विभव ......\(Volt\) होगा
1 \(100\)
2 \(200\)
3 \(400\)
4 \(600\)
Explanation:
दिये गये परिपथ को निम्न प्रकार से सरलीकृत किया जा सकता है। श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पर आवेश समान रहेगा अत: \(Q = CV\) \({C_1}{V_1} = {C_2}{V_2}\) \(3\,(1200 - {V_p}) = 6({V_P} - {V_B})\) \(1200 - {V_p} = 2{V_p}\) (\({V_B} = 0)\) \(3V_p\) = \(1200\) \(V_p\) = \(400 \,volt\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197602
प्रदर्शित छ: संधारित्र सर्वसम हैं। प्रत्येक संधारित्र सिरों के बीच अधिकतम \(200\, volts\) विभवान्तर सहन कर सकता है। \(A\) और \(B\) के बीच अधिकतम विभवान्तर कितने वोल्ट ......\(V\) लगाया जा सकता है
1 \(1200 \)
2 \(400\)
3 \(800\)
4 \(200 \)
Explanation:
दिये गये परिपथ को निम्न प्रकार बनाया जा सकता है (\(C\) $=$ प्रत्येक संधारित्र पर धारिता) प्रत्येक \(3\,C\), संधारित्र अधिकतम विभवान्तर \(200\, V\) सहन कर सकता है अत: \(A\) और \(B\) के मध्य आरोपित अधिकतम विभवान्तर \((200 + 200)\) $=$ \(400\) वोल्ट होगा
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197603
निम्न दिये गये परिपथ में \(4\, \mu F\) वाले संधारित्र पर आवेश का मान \(\mu C\) में होगा
1 \(12\)
2 \(24\)
3 \(36\)
4 \(32\)
Explanation:
\(A\) और \(B\) के मध्य तुल्य धारिता\( = \frac{{6 \times 4}}{{10}} = 2.4\,\mu F\) अत: \(4\,\mu F\) या \(6\, \mu F\) संधारित्र पर आवेश (श्रेणीक्रम संयोजन में आवेश नियत रहता है) = \(2.4 \times 10\) = \(24\,\mu C\)
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01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197600
\(2\,\mu F\) तथा \(3\,\mu F\) वाले संधारित्र श्रेणीक्रम में हैं। प्रथम संधारित्र की बाहरी प्लेट \(1000\, volt\) पर तथा द्वितीय संधारित्र की बाहरी प्लेट भू-सम्पर्कित हैं। प्रत्येक संधारित्र की अन्दर वाली प्लेट का विभव .......\(Volt\) है
197601
निम्न चित्र में बिन्दु \(A\) को $+$ \(1200\, V\) का विभव दिया जाता है एवं \(B\) को भू-सम्पर्कित किया जाता है। बिन्दु \(P\) का विभव ......\(Volt\) होगा
1 \(100\)
2 \(200\)
3 \(400\)
4 \(600\)
Explanation:
दिये गये परिपथ को निम्न प्रकार से सरलीकृत किया जा सकता है। श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पर आवेश समान रहेगा अत: \(Q = CV\) \({C_1}{V_1} = {C_2}{V_2}\) \(3\,(1200 - {V_p}) = 6({V_P} - {V_B})\) \(1200 - {V_p} = 2{V_p}\) (\({V_B} = 0)\) \(3V_p\) = \(1200\) \(V_p\) = \(400 \,volt\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197602
प्रदर्शित छ: संधारित्र सर्वसम हैं। प्रत्येक संधारित्र सिरों के बीच अधिकतम \(200\, volts\) विभवान्तर सहन कर सकता है। \(A\) और \(B\) के बीच अधिकतम विभवान्तर कितने वोल्ट ......\(V\) लगाया जा सकता है
1 \(1200 \)
2 \(400\)
3 \(800\)
4 \(200 \)
Explanation:
दिये गये परिपथ को निम्न प्रकार बनाया जा सकता है (\(C\) $=$ प्रत्येक संधारित्र पर धारिता) प्रत्येक \(3\,C\), संधारित्र अधिकतम विभवान्तर \(200\, V\) सहन कर सकता है अत: \(A\) और \(B\) के मध्य आरोपित अधिकतम विभवान्तर \((200 + 200)\) $=$ \(400\) वोल्ट होगा
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197603
निम्न दिये गये परिपथ में \(4\, \mu F\) वाले संधारित्र पर आवेश का मान \(\mu C\) में होगा
1 \(12\)
2 \(24\)
3 \(36\)
4 \(32\)
Explanation:
\(A\) और \(B\) के मध्य तुल्य धारिता\( = \frac{{6 \times 4}}{{10}} = 2.4\,\mu F\) अत: \(4\,\mu F\) या \(6\, \mu F\) संधारित्र पर आवेश (श्रेणीक्रम संयोजन में आवेश नियत रहता है) = \(2.4 \times 10\) = \(24\,\mu C\)
197600
\(2\,\mu F\) तथा \(3\,\mu F\) वाले संधारित्र श्रेणीक्रम में हैं। प्रथम संधारित्र की बाहरी प्लेट \(1000\, volt\) पर तथा द्वितीय संधारित्र की बाहरी प्लेट भू-सम्पर्कित हैं। प्रत्येक संधारित्र की अन्दर वाली प्लेट का विभव .......\(Volt\) है
197601
निम्न चित्र में बिन्दु \(A\) को $+$ \(1200\, V\) का विभव दिया जाता है एवं \(B\) को भू-सम्पर्कित किया जाता है। बिन्दु \(P\) का विभव ......\(Volt\) होगा
1 \(100\)
2 \(200\)
3 \(400\)
4 \(600\)
Explanation:
दिये गये परिपथ को निम्न प्रकार से सरलीकृत किया जा सकता है। श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पर आवेश समान रहेगा अत: \(Q = CV\) \({C_1}{V_1} = {C_2}{V_2}\) \(3\,(1200 - {V_p}) = 6({V_P} - {V_B})\) \(1200 - {V_p} = 2{V_p}\) (\({V_B} = 0)\) \(3V_p\) = \(1200\) \(V_p\) = \(400 \,volt\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197602
प्रदर्शित छ: संधारित्र सर्वसम हैं। प्रत्येक संधारित्र सिरों के बीच अधिकतम \(200\, volts\) विभवान्तर सहन कर सकता है। \(A\) और \(B\) के बीच अधिकतम विभवान्तर कितने वोल्ट ......\(V\) लगाया जा सकता है
1 \(1200 \)
2 \(400\)
3 \(800\)
4 \(200 \)
Explanation:
दिये गये परिपथ को निम्न प्रकार बनाया जा सकता है (\(C\) $=$ प्रत्येक संधारित्र पर धारिता) प्रत्येक \(3\,C\), संधारित्र अधिकतम विभवान्तर \(200\, V\) सहन कर सकता है अत: \(A\) और \(B\) के मध्य आरोपित अधिकतम विभवान्तर \((200 + 200)\) $=$ \(400\) वोल्ट होगा
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197603
निम्न दिये गये परिपथ में \(4\, \mu F\) वाले संधारित्र पर आवेश का मान \(\mu C\) में होगा
1 \(12\)
2 \(24\)
3 \(36\)
4 \(32\)
Explanation:
\(A\) और \(B\) के मध्य तुल्य धारिता\( = \frac{{6 \times 4}}{{10}} = 2.4\,\mu F\) अत: \(4\,\mu F\) या \(6\, \mu F\) संधारित्र पर आवेश (श्रेणीक्रम संयोजन में आवेश नियत रहता है) = \(2.4 \times 10\) = \(24\,\mu C\)
197600
\(2\,\mu F\) तथा \(3\,\mu F\) वाले संधारित्र श्रेणीक्रम में हैं। प्रथम संधारित्र की बाहरी प्लेट \(1000\, volt\) पर तथा द्वितीय संधारित्र की बाहरी प्लेट भू-सम्पर्कित हैं। प्रत्येक संधारित्र की अन्दर वाली प्लेट का विभव .......\(Volt\) है
197601
निम्न चित्र में बिन्दु \(A\) को $+$ \(1200\, V\) का विभव दिया जाता है एवं \(B\) को भू-सम्पर्कित किया जाता है। बिन्दु \(P\) का विभव ......\(Volt\) होगा
1 \(100\)
2 \(200\)
3 \(400\)
4 \(600\)
Explanation:
दिये गये परिपथ को निम्न प्रकार से सरलीकृत किया जा सकता है। श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पर आवेश समान रहेगा अत: \(Q = CV\) \({C_1}{V_1} = {C_2}{V_2}\) \(3\,(1200 - {V_p}) = 6({V_P} - {V_B})\) \(1200 - {V_p} = 2{V_p}\) (\({V_B} = 0)\) \(3V_p\) = \(1200\) \(V_p\) = \(400 \,volt\)
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197602
प्रदर्शित छ: संधारित्र सर्वसम हैं। प्रत्येक संधारित्र सिरों के बीच अधिकतम \(200\, volts\) विभवान्तर सहन कर सकता है। \(A\) और \(B\) के बीच अधिकतम विभवान्तर कितने वोल्ट ......\(V\) लगाया जा सकता है
1 \(1200 \)
2 \(400\)
3 \(800\)
4 \(200 \)
Explanation:
दिये गये परिपथ को निम्न प्रकार बनाया जा सकता है (\(C\) $=$ प्रत्येक संधारित्र पर धारिता) प्रत्येक \(3\,C\), संधारित्र अधिकतम विभवान्तर \(200\, V\) सहन कर सकता है अत: \(A\) और \(B\) के मध्य आरोपित अधिकतम विभवान्तर \((200 + 200)\) $=$ \(400\) वोल्ट होगा
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197603
निम्न दिये गये परिपथ में \(4\, \mu F\) वाले संधारित्र पर आवेश का मान \(\mu C\) में होगा
1 \(12\)
2 \(24\)
3 \(36\)
4 \(32\)
Explanation:
\(A\) और \(B\) के मध्य तुल्य धारिता\( = \frac{{6 \times 4}}{{10}} = 2.4\,\mu F\) अत: \(4\,\mu F\) या \(6\, \mu F\) संधारित्र पर आवेश (श्रेणीक्रम संयोजन में आवेश नियत रहता है) = \(2.4 \times 10\) = \(24\,\mu C\)