217368
गाइनोशियम का वह भाग जो पराग को ग्रहण करता है, कहलाता है
1 वर्तिकाग्र \((Stigma)\)
2 वर्तिका \((Style)\)
3 अण्डाशय
4 बीजाण्ड
Explanation:
(a) वर्तिका (स्टाइल) का अग्रस्थ ग्राही भाग वर्तिकाग्र (स्टिगना) कहलाता है। यह परागण के दौरान परागकणों को ग्रहण करता है।
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217369
मुक्तदोली (वर्सेटाइल) परागकोष किसमें पाये जाते हैं
1 हेलियेन्थस एनस में
2 ओराइजा सेटाइवा में
3 सोलेनम ट्युबरोसम में
4 हिबिस्कस एस्कुलेन्टस में
Explanation:
(b) जब फिलामेन्ट परागकोष (एन्थर) की पृष्ठ सतह पर एक बिन्दु से मध्य में जुड़ा रहता है, जो एन्थर फिलामेन्ट पर स्वतंत्रापूर्वक सभी दिशाओं में हिल-डुल सकता है। उदाहरण- ऑराइजा सैटाइवा
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217370
आब्डिप्लोस्टेमिनस स्थिति वह होती है जिसमें पुंकेसर दो चक्रों में पाये जाते हैं तथा
1 बाहरी चक्र आंतरिक चक्र से जुड़ा रहता है
2 बाहरी चक्र पेटल के विपरीत होता है
3 आंतरिक चक्र पेटल के विपरीत होता है
4 आंतरिक तथा बाहरी दोनों चक्र पेटल के विपरीत होते हैं
Explanation:
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217371
जब एक पुष्प के परागकोष स्टिग्मा से जल्दी परिपक्व हो जाये तो यह स्थिति कहलाती है
1 हरकोगेमी
2 प्रोटेंड्री
3 हेटरोस्टाइली
4 हेटरोगेमी
Explanation:
(b) जब स्टेमन स्टिग्मा से पूर्व परिपक्व होते हैं तो इन्हें प्रोटेन्ड्री कहते हैं तथा पुष्प प्रोटेंड्रस कहलाते हैं। उदा.- धनिया, जैसमीन, सूर्यमुखी आदि।
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05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217368
गाइनोशियम का वह भाग जो पराग को ग्रहण करता है, कहलाता है
1 वर्तिकाग्र \((Stigma)\)
2 वर्तिका \((Style)\)
3 अण्डाशय
4 बीजाण्ड
Explanation:
(a) वर्तिका (स्टाइल) का अग्रस्थ ग्राही भाग वर्तिकाग्र (स्टिगना) कहलाता है। यह परागण के दौरान परागकणों को ग्रहण करता है।
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217369
मुक्तदोली (वर्सेटाइल) परागकोष किसमें पाये जाते हैं
1 हेलियेन्थस एनस में
2 ओराइजा सेटाइवा में
3 सोलेनम ट्युबरोसम में
4 हिबिस्कस एस्कुलेन्टस में
Explanation:
(b) जब फिलामेन्ट परागकोष (एन्थर) की पृष्ठ सतह पर एक बिन्दु से मध्य में जुड़ा रहता है, जो एन्थर फिलामेन्ट पर स्वतंत्रापूर्वक सभी दिशाओं में हिल-डुल सकता है। उदाहरण- ऑराइजा सैटाइवा
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
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आब्डिप्लोस्टेमिनस स्थिति वह होती है जिसमें पुंकेसर दो चक्रों में पाये जाते हैं तथा
1 बाहरी चक्र आंतरिक चक्र से जुड़ा रहता है
2 बाहरी चक्र पेटल के विपरीत होता है
3 आंतरिक चक्र पेटल के विपरीत होता है
4 आंतरिक तथा बाहरी दोनों चक्र पेटल के विपरीत होते हैं
Explanation:
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217371
जब एक पुष्प के परागकोष स्टिग्मा से जल्दी परिपक्व हो जाये तो यह स्थिति कहलाती है
1 हरकोगेमी
2 प्रोटेंड्री
3 हेटरोस्टाइली
4 हेटरोगेमी
Explanation:
(b) जब स्टेमन स्टिग्मा से पूर्व परिपक्व होते हैं तो इन्हें प्रोटेन्ड्री कहते हैं तथा पुष्प प्रोटेंड्रस कहलाते हैं। उदा.- धनिया, जैसमीन, सूर्यमुखी आदि।
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गाइनोशियम का वह भाग जो पराग को ग्रहण करता है, कहलाता है
1 वर्तिकाग्र \((Stigma)\)
2 वर्तिका \((Style)\)
3 अण्डाशय
4 बीजाण्ड
Explanation:
(a) वर्तिका (स्टाइल) का अग्रस्थ ग्राही भाग वर्तिकाग्र (स्टिगना) कहलाता है। यह परागण के दौरान परागकणों को ग्रहण करता है।
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
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मुक्तदोली (वर्सेटाइल) परागकोष किसमें पाये जाते हैं
1 हेलियेन्थस एनस में
2 ओराइजा सेटाइवा में
3 सोलेनम ट्युबरोसम में
4 हिबिस्कस एस्कुलेन्टस में
Explanation:
(b) जब फिलामेन्ट परागकोष (एन्थर) की पृष्ठ सतह पर एक बिन्दु से मध्य में जुड़ा रहता है, जो एन्थर फिलामेन्ट पर स्वतंत्रापूर्वक सभी दिशाओं में हिल-डुल सकता है। उदाहरण- ऑराइजा सैटाइवा
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
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आब्डिप्लोस्टेमिनस स्थिति वह होती है जिसमें पुंकेसर दो चक्रों में पाये जाते हैं तथा
1 बाहरी चक्र आंतरिक चक्र से जुड़ा रहता है
2 बाहरी चक्र पेटल के विपरीत होता है
3 आंतरिक चक्र पेटल के विपरीत होता है
4 आंतरिक तथा बाहरी दोनों चक्र पेटल के विपरीत होते हैं
Explanation:
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
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जब एक पुष्प के परागकोष स्टिग्मा से जल्दी परिपक्व हो जाये तो यह स्थिति कहलाती है
1 हरकोगेमी
2 प्रोटेंड्री
3 हेटरोस्टाइली
4 हेटरोगेमी
Explanation:
(b) जब स्टेमन स्टिग्मा से पूर्व परिपक्व होते हैं तो इन्हें प्रोटेन्ड्री कहते हैं तथा पुष्प प्रोटेंड्रस कहलाते हैं। उदा.- धनिया, जैसमीन, सूर्यमुखी आदि।
217368
गाइनोशियम का वह भाग जो पराग को ग्रहण करता है, कहलाता है
1 वर्तिकाग्र \((Stigma)\)
2 वर्तिका \((Style)\)
3 अण्डाशय
4 बीजाण्ड
Explanation:
(a) वर्तिका (स्टाइल) का अग्रस्थ ग्राही भाग वर्तिकाग्र (स्टिगना) कहलाता है। यह परागण के दौरान परागकणों को ग्रहण करता है।
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217369
मुक्तदोली (वर्सेटाइल) परागकोष किसमें पाये जाते हैं
1 हेलियेन्थस एनस में
2 ओराइजा सेटाइवा में
3 सोलेनम ट्युबरोसम में
4 हिबिस्कस एस्कुलेन्टस में
Explanation:
(b) जब फिलामेन्ट परागकोष (एन्थर) की पृष्ठ सतह पर एक बिन्दु से मध्य में जुड़ा रहता है, जो एन्थर फिलामेन्ट पर स्वतंत्रापूर्वक सभी दिशाओं में हिल-डुल सकता है। उदाहरण- ऑराइजा सैटाइवा
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217370
आब्डिप्लोस्टेमिनस स्थिति वह होती है जिसमें पुंकेसर दो चक्रों में पाये जाते हैं तथा
1 बाहरी चक्र आंतरिक चक्र से जुड़ा रहता है
2 बाहरी चक्र पेटल के विपरीत होता है
3 आंतरिक चक्र पेटल के विपरीत होता है
4 आंतरिक तथा बाहरी दोनों चक्र पेटल के विपरीत होते हैं
Explanation:
05. MORPHOLOGY OF FLOWERING PLANTS (HM)
217371
जब एक पुष्प के परागकोष स्टिग्मा से जल्दी परिपक्व हो जाये तो यह स्थिति कहलाती है
1 हरकोगेमी
2 प्रोटेंड्री
3 हेटरोस्टाइली
4 हेटरोगेमी
Explanation:
(b) जब स्टेमन स्टिग्मा से पूर्व परिपक्व होते हैं तो इन्हें प्रोटेन्ड्री कहते हैं तथा पुष्प प्रोटेंड्रस कहलाते हैं। उदा.- धनिया, जैसमीन, सूर्यमुखी आदि।