199945
एक ऊष्मागतिक निकाय के लिए \(P-V\) वक्र दर्शाया गया है। निकाय द्वारा \(A \to B \to C\) तक जाने में किया गया कार्य \(30J\) है एवं निकाय को \(40J\) ऊष्मा दी जाती है \(A\) एवं \(C\) के बीच आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ...... \(J\) है
1 \(10 \)
2 \(70 \)
3 \(84 \)
4 \(134 \)
Explanation:
दी गई ऊष्मा \(\Delta Q = 40 J\) एवं किया गया कार्य \(\Delta W = 30 J\) $⇒$ \(\Delta U = \Delta Q - \Delta W = 40 -30 = 10 J.\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199946
चित्र में दिखाये गये प्रक्रम पर विचार करें। प्रक्रम के दौरान किया गया कार्य
1 लगातार बढ़ता है
2 लगातार घटता है
3 पहले बढ़ता है, फिर घटता है
4 पहले घटता है, फिर बढ़ता है
Explanation:
चूँकि आयतन लगातार बढ़ रहा है, एवं प्रसार में किया गया कार्य सदैव धनात्मक होता है, अत: निकाय द्वारा किया गया कार्य लगातार बढ़ता है।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199947
एक आदर्श गैस के छ: मोल दिखाये गये चक्र से गुजरते हैं। यदि ताप \(T_A = 600 K, T_B = 800 K, T_C = 2200 K \,and\, T_D = 1200 K\), हो, तब प्रति चक्र किया गया कार्य ..... \(kJ\) है
1 \(20\)
2 \(30\)
3 \(40\)
4 \(60\)
Explanation:
प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D,\) तक सरल रेखा \(y = mx\) के भाग है एवं \(P = \frac{{\mu R}}{V}T\) (\(\mu = 6\)) \(\Rightarrow P \propto T\) इसलिए ग्राफ \(AB\) एवं \(CD\) के लिए आयतन नियत हैं इसलिए प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D\) में कोई कार्य नहीं किया जाएगा अर्थात् \(W_{AB} = W_{CD} = 0\) एवं \(W_{BC} = P_2(V_C -V_B) = µR (TC -TB)\) \(= 6R (2200 -800) = 6R \times 1400 J\) एवं \( W_{DA} = P_1 (V_A -V_D) = µR(T_A -T_B)\) \(= 6R (600 -1200)= -6R \times 600 J\) अत: पूर्ण चक्र में किया गया कार्य \(W = W_{AB} + W_{BC} + W_{CD} + W_{DA}\) \(= 0 + 6R \times 1400 + 0 -6R \times 600\) \(= 6R \times 900 = 6 \times 8.3 \times 800 ≈ 40 kJ\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199948
दिये गये चित्रों में से कौन समतापीय वक्र को सही प्रदर्शित करता है
1
2
3
4
Explanation:
समतापीय प्रक्रम में, \(P \propto \frac{1}{V}.\) अत: \(P\) एवं \(V\) के बीच ग्राफ अति परवलय होगा।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199949
नीचे चित्र में चार वक्र \(A, B, C\) एवं \(D\) दिखाये गये हैं
1 वक्र \(A\) व \(D\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं
2 वक्र \(A\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं, जबकि \(B\) व \(D\) समतापीय हैं
3 वक्र \(A\) व \(B\) समतापीय हैं, जबकि \(C\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
4 वक्र \(A\) व \(C\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
Explanation:
रुद्धोष्म वक्र, समतापी वक्र से अधिक ढाल वाले होते हैं।
199945
एक ऊष्मागतिक निकाय के लिए \(P-V\) वक्र दर्शाया गया है। निकाय द्वारा \(A \to B \to C\) तक जाने में किया गया कार्य \(30J\) है एवं निकाय को \(40J\) ऊष्मा दी जाती है \(A\) एवं \(C\) के बीच आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ...... \(J\) है
1 \(10 \)
2 \(70 \)
3 \(84 \)
4 \(134 \)
Explanation:
दी गई ऊष्मा \(\Delta Q = 40 J\) एवं किया गया कार्य \(\Delta W = 30 J\) $⇒$ \(\Delta U = \Delta Q - \Delta W = 40 -30 = 10 J.\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199946
चित्र में दिखाये गये प्रक्रम पर विचार करें। प्रक्रम के दौरान किया गया कार्य
1 लगातार बढ़ता है
2 लगातार घटता है
3 पहले बढ़ता है, फिर घटता है
4 पहले घटता है, फिर बढ़ता है
Explanation:
चूँकि आयतन लगातार बढ़ रहा है, एवं प्रसार में किया गया कार्य सदैव धनात्मक होता है, अत: निकाय द्वारा किया गया कार्य लगातार बढ़ता है।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199947
एक आदर्श गैस के छ: मोल दिखाये गये चक्र से गुजरते हैं। यदि ताप \(T_A = 600 K, T_B = 800 K, T_C = 2200 K \,and\, T_D = 1200 K\), हो, तब प्रति चक्र किया गया कार्य ..... \(kJ\) है
1 \(20\)
2 \(30\)
3 \(40\)
4 \(60\)
Explanation:
प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D,\) तक सरल रेखा \(y = mx\) के भाग है एवं \(P = \frac{{\mu R}}{V}T\) (\(\mu = 6\)) \(\Rightarrow P \propto T\) इसलिए ग्राफ \(AB\) एवं \(CD\) के लिए आयतन नियत हैं इसलिए प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D\) में कोई कार्य नहीं किया जाएगा अर्थात् \(W_{AB} = W_{CD} = 0\) एवं \(W_{BC} = P_2(V_C -V_B) = µR (TC -TB)\) \(= 6R (2200 -800) = 6R \times 1400 J\) एवं \( W_{DA} = P_1 (V_A -V_D) = µR(T_A -T_B)\) \(= 6R (600 -1200)= -6R \times 600 J\) अत: पूर्ण चक्र में किया गया कार्य \(W = W_{AB} + W_{BC} + W_{CD} + W_{DA}\) \(= 0 + 6R \times 1400 + 0 -6R \times 600\) \(= 6R \times 900 = 6 \times 8.3 \times 800 ≈ 40 kJ\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199948
दिये गये चित्रों में से कौन समतापीय वक्र को सही प्रदर्शित करता है
1
2
3
4
Explanation:
समतापीय प्रक्रम में, \(P \propto \frac{1}{V}.\) अत: \(P\) एवं \(V\) के बीच ग्राफ अति परवलय होगा।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199949
नीचे चित्र में चार वक्र \(A, B, C\) एवं \(D\) दिखाये गये हैं
1 वक्र \(A\) व \(D\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं
2 वक्र \(A\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं, जबकि \(B\) व \(D\) समतापीय हैं
3 वक्र \(A\) व \(B\) समतापीय हैं, जबकि \(C\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
4 वक्र \(A\) व \(C\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
Explanation:
रुद्धोष्म वक्र, समतापी वक्र से अधिक ढाल वाले होते हैं।
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12. THERMODYNAMICS (HM)
199945
एक ऊष्मागतिक निकाय के लिए \(P-V\) वक्र दर्शाया गया है। निकाय द्वारा \(A \to B \to C\) तक जाने में किया गया कार्य \(30J\) है एवं निकाय को \(40J\) ऊष्मा दी जाती है \(A\) एवं \(C\) के बीच आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ...... \(J\) है
1 \(10 \)
2 \(70 \)
3 \(84 \)
4 \(134 \)
Explanation:
दी गई ऊष्मा \(\Delta Q = 40 J\) एवं किया गया कार्य \(\Delta W = 30 J\) $⇒$ \(\Delta U = \Delta Q - \Delta W = 40 -30 = 10 J.\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199946
चित्र में दिखाये गये प्रक्रम पर विचार करें। प्रक्रम के दौरान किया गया कार्य
1 लगातार बढ़ता है
2 लगातार घटता है
3 पहले बढ़ता है, फिर घटता है
4 पहले घटता है, फिर बढ़ता है
Explanation:
चूँकि आयतन लगातार बढ़ रहा है, एवं प्रसार में किया गया कार्य सदैव धनात्मक होता है, अत: निकाय द्वारा किया गया कार्य लगातार बढ़ता है।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199947
एक आदर्श गैस के छ: मोल दिखाये गये चक्र से गुजरते हैं। यदि ताप \(T_A = 600 K, T_B = 800 K, T_C = 2200 K \,and\, T_D = 1200 K\), हो, तब प्रति चक्र किया गया कार्य ..... \(kJ\) है
1 \(20\)
2 \(30\)
3 \(40\)
4 \(60\)
Explanation:
प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D,\) तक सरल रेखा \(y = mx\) के भाग है एवं \(P = \frac{{\mu R}}{V}T\) (\(\mu = 6\)) \(\Rightarrow P \propto T\) इसलिए ग्राफ \(AB\) एवं \(CD\) के लिए आयतन नियत हैं इसलिए प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D\) में कोई कार्य नहीं किया जाएगा अर्थात् \(W_{AB} = W_{CD} = 0\) एवं \(W_{BC} = P_2(V_C -V_B) = µR (TC -TB)\) \(= 6R (2200 -800) = 6R \times 1400 J\) एवं \( W_{DA} = P_1 (V_A -V_D) = µR(T_A -T_B)\) \(= 6R (600 -1200)= -6R \times 600 J\) अत: पूर्ण चक्र में किया गया कार्य \(W = W_{AB} + W_{BC} + W_{CD} + W_{DA}\) \(= 0 + 6R \times 1400 + 0 -6R \times 600\) \(= 6R \times 900 = 6 \times 8.3 \times 800 ≈ 40 kJ\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199948
दिये गये चित्रों में से कौन समतापीय वक्र को सही प्रदर्शित करता है
1
2
3
4
Explanation:
समतापीय प्रक्रम में, \(P \propto \frac{1}{V}.\) अत: \(P\) एवं \(V\) के बीच ग्राफ अति परवलय होगा।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199949
नीचे चित्र में चार वक्र \(A, B, C\) एवं \(D\) दिखाये गये हैं
1 वक्र \(A\) व \(D\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं
2 वक्र \(A\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं, जबकि \(B\) व \(D\) समतापीय हैं
3 वक्र \(A\) व \(B\) समतापीय हैं, जबकि \(C\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
4 वक्र \(A\) व \(C\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
Explanation:
रुद्धोष्म वक्र, समतापी वक्र से अधिक ढाल वाले होते हैं।
199945
एक ऊष्मागतिक निकाय के लिए \(P-V\) वक्र दर्शाया गया है। निकाय द्वारा \(A \to B \to C\) तक जाने में किया गया कार्य \(30J\) है एवं निकाय को \(40J\) ऊष्मा दी जाती है \(A\) एवं \(C\) के बीच आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ...... \(J\) है
1 \(10 \)
2 \(70 \)
3 \(84 \)
4 \(134 \)
Explanation:
दी गई ऊष्मा \(\Delta Q = 40 J\) एवं किया गया कार्य \(\Delta W = 30 J\) $⇒$ \(\Delta U = \Delta Q - \Delta W = 40 -30 = 10 J.\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199946
चित्र में दिखाये गये प्रक्रम पर विचार करें। प्रक्रम के दौरान किया गया कार्य
1 लगातार बढ़ता है
2 लगातार घटता है
3 पहले बढ़ता है, फिर घटता है
4 पहले घटता है, फिर बढ़ता है
Explanation:
चूँकि आयतन लगातार बढ़ रहा है, एवं प्रसार में किया गया कार्य सदैव धनात्मक होता है, अत: निकाय द्वारा किया गया कार्य लगातार बढ़ता है।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199947
एक आदर्श गैस के छ: मोल दिखाये गये चक्र से गुजरते हैं। यदि ताप \(T_A = 600 K, T_B = 800 K, T_C = 2200 K \,and\, T_D = 1200 K\), हो, तब प्रति चक्र किया गया कार्य ..... \(kJ\) है
1 \(20\)
2 \(30\)
3 \(40\)
4 \(60\)
Explanation:
प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D,\) तक सरल रेखा \(y = mx\) के भाग है एवं \(P = \frac{{\mu R}}{V}T\) (\(\mu = 6\)) \(\Rightarrow P \propto T\) इसलिए ग्राफ \(AB\) एवं \(CD\) के लिए आयतन नियत हैं इसलिए प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D\) में कोई कार्य नहीं किया जाएगा अर्थात् \(W_{AB} = W_{CD} = 0\) एवं \(W_{BC} = P_2(V_C -V_B) = µR (TC -TB)\) \(= 6R (2200 -800) = 6R \times 1400 J\) एवं \( W_{DA} = P_1 (V_A -V_D) = µR(T_A -T_B)\) \(= 6R (600 -1200)= -6R \times 600 J\) अत: पूर्ण चक्र में किया गया कार्य \(W = W_{AB} + W_{BC} + W_{CD} + W_{DA}\) \(= 0 + 6R \times 1400 + 0 -6R \times 600\) \(= 6R \times 900 = 6 \times 8.3 \times 800 ≈ 40 kJ\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199948
दिये गये चित्रों में से कौन समतापीय वक्र को सही प्रदर्शित करता है
1
2
3
4
Explanation:
समतापीय प्रक्रम में, \(P \propto \frac{1}{V}.\) अत: \(P\) एवं \(V\) के बीच ग्राफ अति परवलय होगा।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199949
नीचे चित्र में चार वक्र \(A, B, C\) एवं \(D\) दिखाये गये हैं
1 वक्र \(A\) व \(D\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं
2 वक्र \(A\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं, जबकि \(B\) व \(D\) समतापीय हैं
3 वक्र \(A\) व \(B\) समतापीय हैं, जबकि \(C\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
4 वक्र \(A\) व \(C\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
Explanation:
रुद्धोष्म वक्र, समतापी वक्र से अधिक ढाल वाले होते हैं।
199945
एक ऊष्मागतिक निकाय के लिए \(P-V\) वक्र दर्शाया गया है। निकाय द्वारा \(A \to B \to C\) तक जाने में किया गया कार्य \(30J\) है एवं निकाय को \(40J\) ऊष्मा दी जाती है \(A\) एवं \(C\) के बीच आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ...... \(J\) है
1 \(10 \)
2 \(70 \)
3 \(84 \)
4 \(134 \)
Explanation:
दी गई ऊष्मा \(\Delta Q = 40 J\) एवं किया गया कार्य \(\Delta W = 30 J\) $⇒$ \(\Delta U = \Delta Q - \Delta W = 40 -30 = 10 J.\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199946
चित्र में दिखाये गये प्रक्रम पर विचार करें। प्रक्रम के दौरान किया गया कार्य
1 लगातार बढ़ता है
2 लगातार घटता है
3 पहले बढ़ता है, फिर घटता है
4 पहले घटता है, फिर बढ़ता है
Explanation:
चूँकि आयतन लगातार बढ़ रहा है, एवं प्रसार में किया गया कार्य सदैव धनात्मक होता है, अत: निकाय द्वारा किया गया कार्य लगातार बढ़ता है।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199947
एक आदर्श गैस के छ: मोल दिखाये गये चक्र से गुजरते हैं। यदि ताप \(T_A = 600 K, T_B = 800 K, T_C = 2200 K \,and\, T_D = 1200 K\), हो, तब प्रति चक्र किया गया कार्य ..... \(kJ\) है
1 \(20\)
2 \(30\)
3 \(40\)
4 \(60\)
Explanation:
प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D,\) तक सरल रेखा \(y = mx\) के भाग है एवं \(P = \frac{{\mu R}}{V}T\) (\(\mu = 6\)) \(\Rightarrow P \propto T\) इसलिए ग्राफ \(AB\) एवं \(CD\) के लिए आयतन नियत हैं इसलिए प्रक्रम \(A\) से \(B\) एवं \(C\) से \(D\) में कोई कार्य नहीं किया जाएगा अर्थात् \(W_{AB} = W_{CD} = 0\) एवं \(W_{BC} = P_2(V_C -V_B) = µR (TC -TB)\) \(= 6R (2200 -800) = 6R \times 1400 J\) एवं \( W_{DA} = P_1 (V_A -V_D) = µR(T_A -T_B)\) \(= 6R (600 -1200)= -6R \times 600 J\) अत: पूर्ण चक्र में किया गया कार्य \(W = W_{AB} + W_{BC} + W_{CD} + W_{DA}\) \(= 0 + 6R \times 1400 + 0 -6R \times 600\) \(= 6R \times 900 = 6 \times 8.3 \times 800 ≈ 40 kJ\)
12. THERMODYNAMICS (HM)
199948
दिये गये चित्रों में से कौन समतापीय वक्र को सही प्रदर्शित करता है
1
2
3
4
Explanation:
समतापीय प्रक्रम में, \(P \propto \frac{1}{V}.\) अत: \(P\) एवं \(V\) के बीच ग्राफ अति परवलय होगा।
12. THERMODYNAMICS (HM)
199949
नीचे चित्र में चार वक्र \(A, B, C\) एवं \(D\) दिखाये गये हैं
1 वक्र \(A\) व \(D\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं
2 वक्र \(A\) व \(C\) रुद्धोष्म हैं, जबकि \(B\) व \(D\) समतापीय हैं
3 वक्र \(A\) व \(B\) समतापीय हैं, जबकि \(C\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
4 वक्र \(A\) व \(C\) समतापीय हैं, जबकि \(B\) व \(D\) रुद्धोष्म हैं
Explanation:
रुद्धोष्म वक्र, समतापी वक्र से अधिक ढाल वाले होते हैं।