198408 'धा' स्वर बजाते हुए सितार की दो डोरियाँ \(A\) और \(B\) थोड़ा सा सुर से बाहर हैं और \(5\; Hz\) आवृत्ति के विस्पन्द उत्पन्न करती हैं। डोरी \(B\) में तनाव थोड़ा बढ़ाते हैं तो विस्पन्द आवृत्ति \(3\; Hz\) से कम हो जाती है। यदि \(A\) की आवृत्ति \(425 \;Hz\) हो तो \(B\) की वास्तविक आवृत्ति है
198409 दो तारों \(W_{1}\) तथा \(W_{2}\) की समान त्रिज्या \(r\) है तथा घनत्व क्रमशः \(\rho_{1}\) और \(\rho_{2}\) इस प्रकार हैं कि \(\rho_{2}=4 \rho_{1}\) । चित्रानुसार इन तारों को बिन्दु \(O\) पर जोड़ा गया है। इस संयोजन को सोनोमीटर के तार के रूप में प्रयोग करते हैं और इसे तनाव \(T\) पर रखते हैं। बिन्दु \(O\), दोनों सेतुओं के मध्य में हैं। इस संयुक्त तार में एक अप्रगामी तरंग उत्पत्र की जाती हैं तो जोड़ पर निस्पंद (node) बनता है। \(W_{1}\) व \(W_{2}\) तारों में बने प्रस्पंदों (antinode) की संख्या का अनुपात होगा
198410 दो तरंगें, जो विपरीत दिशा में चल रही हैं, के अध्यारोपण से एक अप्रगामी तरंग बनती है जिसका अनुप्रस्थ विस्थापन निम्न समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है\(y(x, t )=0.5 \sin \left(\frac{5 \pi}{4} x\right) \cos (200 \pi t ).\)\(+x\) अक्ष की तरफ चलने वाली प्रगामी तरंग की गति होगी :(यहाँ \(x\) व \(t\) क्रमशः मीटर व सेकण्ड में हैं।)
198408 'धा' स्वर बजाते हुए सितार की दो डोरियाँ \(A\) और \(B\) थोड़ा सा सुर से बाहर हैं और \(5\; Hz\) आवृत्ति के विस्पन्द उत्पन्न करती हैं। डोरी \(B\) में तनाव थोड़ा बढ़ाते हैं तो विस्पन्द आवृत्ति \(3\; Hz\) से कम हो जाती है। यदि \(A\) की आवृत्ति \(425 \;Hz\) हो तो \(B\) की वास्तविक आवृत्ति है
198409 दो तारों \(W_{1}\) तथा \(W_{2}\) की समान त्रिज्या \(r\) है तथा घनत्व क्रमशः \(\rho_{1}\) और \(\rho_{2}\) इस प्रकार हैं कि \(\rho_{2}=4 \rho_{1}\) । चित्रानुसार इन तारों को बिन्दु \(O\) पर जोड़ा गया है। इस संयोजन को सोनोमीटर के तार के रूप में प्रयोग करते हैं और इसे तनाव \(T\) पर रखते हैं। बिन्दु \(O\), दोनों सेतुओं के मध्य में हैं। इस संयुक्त तार में एक अप्रगामी तरंग उत्पत्र की जाती हैं तो जोड़ पर निस्पंद (node) बनता है। \(W_{1}\) व \(W_{2}\) तारों में बने प्रस्पंदों (antinode) की संख्या का अनुपात होगा
198410 दो तरंगें, जो विपरीत दिशा में चल रही हैं, के अध्यारोपण से एक अप्रगामी तरंग बनती है जिसका अनुप्रस्थ विस्थापन निम्न समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है\(y(x, t )=0.5 \sin \left(\frac{5 \pi}{4} x\right) \cos (200 \pi t ).\)\(+x\) अक्ष की तरफ चलने वाली प्रगामी तरंग की गति होगी :(यहाँ \(x\) व \(t\) क्रमशः मीटर व सेकण्ड में हैं।)
198408 'धा' स्वर बजाते हुए सितार की दो डोरियाँ \(A\) और \(B\) थोड़ा सा सुर से बाहर हैं और \(5\; Hz\) आवृत्ति के विस्पन्द उत्पन्न करती हैं। डोरी \(B\) में तनाव थोड़ा बढ़ाते हैं तो विस्पन्द आवृत्ति \(3\; Hz\) से कम हो जाती है। यदि \(A\) की आवृत्ति \(425 \;Hz\) हो तो \(B\) की वास्तविक आवृत्ति है
198409 दो तारों \(W_{1}\) तथा \(W_{2}\) की समान त्रिज्या \(r\) है तथा घनत्व क्रमशः \(\rho_{1}\) और \(\rho_{2}\) इस प्रकार हैं कि \(\rho_{2}=4 \rho_{1}\) । चित्रानुसार इन तारों को बिन्दु \(O\) पर जोड़ा गया है। इस संयोजन को सोनोमीटर के तार के रूप में प्रयोग करते हैं और इसे तनाव \(T\) पर रखते हैं। बिन्दु \(O\), दोनों सेतुओं के मध्य में हैं। इस संयुक्त तार में एक अप्रगामी तरंग उत्पत्र की जाती हैं तो जोड़ पर निस्पंद (node) बनता है। \(W_{1}\) व \(W_{2}\) तारों में बने प्रस्पंदों (antinode) की संख्या का अनुपात होगा
198410 दो तरंगें, जो विपरीत दिशा में चल रही हैं, के अध्यारोपण से एक अप्रगामी तरंग बनती है जिसका अनुप्रस्थ विस्थापन निम्न समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है\(y(x, t )=0.5 \sin \left(\frac{5 \pi}{4} x\right) \cos (200 \pi t ).\)\(+x\) अक्ष की तरफ चलने वाली प्रगामी तरंग की गति होगी :(यहाँ \(x\) व \(t\) क्रमशः मीटर व सेकण्ड में हैं।)
198408 'धा' स्वर बजाते हुए सितार की दो डोरियाँ \(A\) और \(B\) थोड़ा सा सुर से बाहर हैं और \(5\; Hz\) आवृत्ति के विस्पन्द उत्पन्न करती हैं। डोरी \(B\) में तनाव थोड़ा बढ़ाते हैं तो विस्पन्द आवृत्ति \(3\; Hz\) से कम हो जाती है। यदि \(A\) की आवृत्ति \(425 \;Hz\) हो तो \(B\) की वास्तविक आवृत्ति है
198409 दो तारों \(W_{1}\) तथा \(W_{2}\) की समान त्रिज्या \(r\) है तथा घनत्व क्रमशः \(\rho_{1}\) और \(\rho_{2}\) इस प्रकार हैं कि \(\rho_{2}=4 \rho_{1}\) । चित्रानुसार इन तारों को बिन्दु \(O\) पर जोड़ा गया है। इस संयोजन को सोनोमीटर के तार के रूप में प्रयोग करते हैं और इसे तनाव \(T\) पर रखते हैं। बिन्दु \(O\), दोनों सेतुओं के मध्य में हैं। इस संयुक्त तार में एक अप्रगामी तरंग उत्पत्र की जाती हैं तो जोड़ पर निस्पंद (node) बनता है। \(W_{1}\) व \(W_{2}\) तारों में बने प्रस्पंदों (antinode) की संख्या का अनुपात होगा
198410 दो तरंगें, जो विपरीत दिशा में चल रही हैं, के अध्यारोपण से एक अप्रगामी तरंग बनती है जिसका अनुप्रस्थ विस्थापन निम्न समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है\(y(x, t )=0.5 \sin \left(\frac{5 \pi}{4} x\right) \cos (200 \pi t ).\)\(+x\) अक्ष की तरफ चलने वाली प्रगामी तरंग की गति होगी :(यहाँ \(x\) व \(t\) क्रमशः मीटर व सेकण्ड में हैं।)