197609 धारिता वाले एक संधारित्र को तक आवेशित किया जाता है। संधारित्र को पावर सप्लाई से हटाकर धारिता वाले एक अनावेशित संधारित्र से जोड़ा जाता है। प्रत्येक संधारित्र पर विभवान्तर ....... होगा
1
2
3
4
Explanation:
आवेशन के पश्चात् संधारित्र पर कुल आवेश उभयनिष्ठ विभव =
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197610
दो समान ऋण आवेश , , -अक्ष पर बिन्दुओं तथा पर स्थित हैं। एक धन आवेश , -अक्ष पर बिन्दु पर विरामावस्था से मुक्त किया जाता है। आवेश
1 मूल बिन्दु के परित: सरल आवर्त गति करेगा
2 मूल बिन्दु तक जाकर ठहर जायेगा
3 अनंत तक चलेगा
4 दोलनी गति करेगा परन्तु यह सरल आवर्त गति नहीं होगी
Explanation:
दोनों आवेशों की सममितता से, और पर स्थित आवेशों के कारण पर आरोपित बलों के -घटक एक दूसरे को निरस्त कर देगें, जबकि -घटक जुड़ जायेंगे एवं इसकी दिशा के अनुदिश है। इस बल के कारण आवेश मूलबिन्दु की ओर गति करेगा। यदि किसी समय आवेश मूल बिन्दु से दूरी पर है अर्थात्, चूंकि प्रत्यानन बल रेखीय नहीं है इसलिए गति दोलनी (आयाम ) होगी परन्तु सरल आवर्त गति नहीं।
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197611 तल में एक विद्युत बल रेखा समीकरण द्वारा दी गयी है। इस तल में बिन्दु पर प्रारम्भ में विराम अवस्था से एक इकाई धनावेशित कण
1 गति बिल्कुल नहीं करेगा
2 सरल रेखा के अनुदिश गति करेगा
3 वृत्तीय बल रेखा के अनुदिश गति करेगा
4 कोई भी निष्कर्ष निकालने के लिए जानकारी अधूरी है
Explanation:
चूंकि , -तल में एक वृत्त का समीकरण है। अत: आवेश वृत्तीय बल रेखा के अनुदिश गति करेगा
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197612
एक धनावेशित गेंद को सिल्क के धागे से लटकाया गया है। यदि हम एक बिन्दु पर धनात्मक परीक्षण आवेश रखते हैं एवं को मापते हैं तो यह कहा जा सकता है कि विद्युत क्षेत्र प्राबल्य
1
2
3
4 परिकलित नहीं किया जा सकता
Explanation:
(a) धनावेशित गेंद के समीप धनात्मक परीक्षक आवेश की उपस्थिति से गेंद पर आवेश का पुनर्वितरण होगा। गेंद के सामने वाले आधे हिस्से पर कम आवेश होगा एवं पीछे वाले आधे हिस्से पर अधिक आवेश होगा। परिणामस्वरूप गेंद और बिन्दु आवेश के मध्य कुल बल घट जायेगा अर्थात् विद्युत क्षेत्र का वास्तविक मान से अधिक होगा।
197609 धारिता वाले एक संधारित्र को तक आवेशित किया जाता है। संधारित्र को पावर सप्लाई से हटाकर धारिता वाले एक अनावेशित संधारित्र से जोड़ा जाता है। प्रत्येक संधारित्र पर विभवान्तर ....... होगा
1
2
3
4
Explanation:
आवेशन के पश्चात् संधारित्र पर कुल आवेश उभयनिष्ठ विभव =
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197610
दो समान ऋण आवेश , , -अक्ष पर बिन्दुओं तथा पर स्थित हैं। एक धन आवेश , -अक्ष पर बिन्दु पर विरामावस्था से मुक्त किया जाता है। आवेश
1 मूल बिन्दु के परित: सरल आवर्त गति करेगा
2 मूल बिन्दु तक जाकर ठहर जायेगा
3 अनंत तक चलेगा
4 दोलनी गति करेगा परन्तु यह सरल आवर्त गति नहीं होगी
Explanation:
दोनों आवेशों की सममितता से, और पर स्थित आवेशों के कारण पर आरोपित बलों के -घटक एक दूसरे को निरस्त कर देगें, जबकि -घटक जुड़ जायेंगे एवं इसकी दिशा के अनुदिश है। इस बल के कारण आवेश मूलबिन्दु की ओर गति करेगा। यदि किसी समय आवेश मूल बिन्दु से दूरी पर है अर्थात्, चूंकि प्रत्यानन बल रेखीय नहीं है इसलिए गति दोलनी (आयाम ) होगी परन्तु सरल आवर्त गति नहीं।
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197611 तल में एक विद्युत बल रेखा समीकरण द्वारा दी गयी है। इस तल में बिन्दु पर प्रारम्भ में विराम अवस्था से एक इकाई धनावेशित कण
1 गति बिल्कुल नहीं करेगा
2 सरल रेखा के अनुदिश गति करेगा
3 वृत्तीय बल रेखा के अनुदिश गति करेगा
4 कोई भी निष्कर्ष निकालने के लिए जानकारी अधूरी है
Explanation:
चूंकि , -तल में एक वृत्त का समीकरण है। अत: आवेश वृत्तीय बल रेखा के अनुदिश गति करेगा
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197612
एक धनावेशित गेंद को सिल्क के धागे से लटकाया गया है। यदि हम एक बिन्दु पर धनात्मक परीक्षण आवेश रखते हैं एवं को मापते हैं तो यह कहा जा सकता है कि विद्युत क्षेत्र प्राबल्य
1
2
3
4 परिकलित नहीं किया जा सकता
Explanation:
(a) धनावेशित गेंद के समीप धनात्मक परीक्षक आवेश की उपस्थिति से गेंद पर आवेश का पुनर्वितरण होगा। गेंद के सामने वाले आधे हिस्से पर कम आवेश होगा एवं पीछे वाले आधे हिस्से पर अधिक आवेश होगा। परिणामस्वरूप गेंद और बिन्दु आवेश के मध्य कुल बल घट जायेगा अर्थात् विद्युत क्षेत्र का वास्तविक मान से अधिक होगा।
197609 धारिता वाले एक संधारित्र को तक आवेशित किया जाता है। संधारित्र को पावर सप्लाई से हटाकर धारिता वाले एक अनावेशित संधारित्र से जोड़ा जाता है। प्रत्येक संधारित्र पर विभवान्तर ....... होगा
1
2
3
4
Explanation:
आवेशन के पश्चात् संधारित्र पर कुल आवेश उभयनिष्ठ विभव =
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197610
दो समान ऋण आवेश , , -अक्ष पर बिन्दुओं तथा पर स्थित हैं। एक धन आवेश , -अक्ष पर बिन्दु पर विरामावस्था से मुक्त किया जाता है। आवेश
1 मूल बिन्दु के परित: सरल आवर्त गति करेगा
2 मूल बिन्दु तक जाकर ठहर जायेगा
3 अनंत तक चलेगा
4 दोलनी गति करेगा परन्तु यह सरल आवर्त गति नहीं होगी
Explanation:
दोनों आवेशों की सममितता से, और पर स्थित आवेशों के कारण पर आरोपित बलों के -घटक एक दूसरे को निरस्त कर देगें, जबकि -घटक जुड़ जायेंगे एवं इसकी दिशा के अनुदिश है। इस बल के कारण आवेश मूलबिन्दु की ओर गति करेगा। यदि किसी समय आवेश मूल बिन्दु से दूरी पर है अर्थात्, चूंकि प्रत्यानन बल रेखीय नहीं है इसलिए गति दोलनी (आयाम ) होगी परन्तु सरल आवर्त गति नहीं।
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197611 तल में एक विद्युत बल रेखा समीकरण द्वारा दी गयी है। इस तल में बिन्दु पर प्रारम्भ में विराम अवस्था से एक इकाई धनावेशित कण
1 गति बिल्कुल नहीं करेगा
2 सरल रेखा के अनुदिश गति करेगा
3 वृत्तीय बल रेखा के अनुदिश गति करेगा
4 कोई भी निष्कर्ष निकालने के लिए जानकारी अधूरी है
Explanation:
चूंकि , -तल में एक वृत्त का समीकरण है। अत: आवेश वृत्तीय बल रेखा के अनुदिश गति करेगा
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197612
एक धनावेशित गेंद को सिल्क के धागे से लटकाया गया है। यदि हम एक बिन्दु पर धनात्मक परीक्षण आवेश रखते हैं एवं को मापते हैं तो यह कहा जा सकता है कि विद्युत क्षेत्र प्राबल्य
1
2
3
4 परिकलित नहीं किया जा सकता
Explanation:
(a) धनावेशित गेंद के समीप धनात्मक परीक्षक आवेश की उपस्थिति से गेंद पर आवेश का पुनर्वितरण होगा। गेंद के सामने वाले आधे हिस्से पर कम आवेश होगा एवं पीछे वाले आधे हिस्से पर अधिक आवेश होगा। परिणामस्वरूप गेंद और बिन्दु आवेश के मध्य कुल बल घट जायेगा अर्थात् विद्युत क्षेत्र का वास्तविक मान से अधिक होगा।
197609 धारिता वाले एक संधारित्र को तक आवेशित किया जाता है। संधारित्र को पावर सप्लाई से हटाकर धारिता वाले एक अनावेशित संधारित्र से जोड़ा जाता है। प्रत्येक संधारित्र पर विभवान्तर ....... होगा
1
2
3
4
Explanation:
आवेशन के पश्चात् संधारित्र पर कुल आवेश उभयनिष्ठ विभव =
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197610
दो समान ऋण आवेश , , -अक्ष पर बिन्दुओं तथा पर स्थित हैं। एक धन आवेश , -अक्ष पर बिन्दु पर विरामावस्था से मुक्त किया जाता है। आवेश
1 मूल बिन्दु के परित: सरल आवर्त गति करेगा
2 मूल बिन्दु तक जाकर ठहर जायेगा
3 अनंत तक चलेगा
4 दोलनी गति करेगा परन्तु यह सरल आवर्त गति नहीं होगी
Explanation:
दोनों आवेशों की सममितता से, और पर स्थित आवेशों के कारण पर आरोपित बलों के -घटक एक दूसरे को निरस्त कर देगें, जबकि -घटक जुड़ जायेंगे एवं इसकी दिशा के अनुदिश है। इस बल के कारण आवेश मूलबिन्दु की ओर गति करेगा। यदि किसी समय आवेश मूल बिन्दु से दूरी पर है अर्थात्, चूंकि प्रत्यानन बल रेखीय नहीं है इसलिए गति दोलनी (आयाम ) होगी परन्तु सरल आवर्त गति नहीं।
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197611 तल में एक विद्युत बल रेखा समीकरण द्वारा दी गयी है। इस तल में बिन्दु पर प्रारम्भ में विराम अवस्था से एक इकाई धनावेशित कण
1 गति बिल्कुल नहीं करेगा
2 सरल रेखा के अनुदिश गति करेगा
3 वृत्तीय बल रेखा के अनुदिश गति करेगा
4 कोई भी निष्कर्ष निकालने के लिए जानकारी अधूरी है
Explanation:
चूंकि , -तल में एक वृत्त का समीकरण है। अत: आवेश वृत्तीय बल रेखा के अनुदिश गति करेगा
01. ELECTRIC CHARGES AND FIELDS (HM)
197612
एक धनावेशित गेंद को सिल्क के धागे से लटकाया गया है। यदि हम एक बिन्दु पर धनात्मक परीक्षण आवेश रखते हैं एवं को मापते हैं तो यह कहा जा सकता है कि विद्युत क्षेत्र प्राबल्य
1
2
3
4 परिकलित नहीं किया जा सकता
Explanation:
(a) धनावेशित गेंद के समीप धनात्मक परीक्षक आवेश की उपस्थिति से गेंद पर आवेश का पुनर्वितरण होगा। गेंद के सामने वाले आधे हिस्से पर कम आवेश होगा एवं पीछे वाले आधे हिस्से पर अधिक आवेश होगा। परिणामस्वरूप गेंद और बिन्दु आवेश के मध्य कुल बल घट जायेगा अर्थात् विद्युत क्षेत्र का वास्तविक मान से अधिक होगा।