06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)
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06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194460 चोक कुण्डली का कार्य सिद्धांत है

1 क्षणिक धारा \((Transient \,current)\)
2 स्व-प्रेरण
3 अन्योन्य प्रेरण
4 वाट रहित धारा
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194245 एक परिपथ जिसका प्रतिरोध \(R\) है उसमे लगने वाला चुंबकीय फ्लक्स \(\Delta \phi, \Delta t\) समय में बदल जाता है तो परिपथ में बनने वाला कुल आवेश Q, \(\Delta t\) समय में है

1 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}}\)
2 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}} \times R\)
3 \(Q = - \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}} + R\)
4 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{R}\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194461 जब एक \(dc\) मोटर की चाल बढ़ती है तब आर्मेचर धारा

1 बढ़ती है
2 घटती है
3 अपरिवर्तित रहती है
4 लगातार घटती एवं बढ़ती है
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194462 जब डायनेमो में विभक्त वलय द्कि परिवर्तक रिंग लगाई जाती है, तो प्राप्त होती है

1 सरल धारा \((dc)\)
2 प्रत्यावर्ती धारा \( (ac)\)
3 उच्चवाचन दिष्ट धारा \((Fluctuating\, dc)\)
4 उच्चवाचन दिष्ट धारा \((Fluctuating \,dc)\)
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194460 चोक कुण्डली का कार्य सिद्धांत है

1 क्षणिक धारा \((Transient \,current)\)
2 स्व-प्रेरण
3 अन्योन्य प्रेरण
4 वाट रहित धारा
06. ELECTROMAGNETIC INDUCTION (HM)

194245 एक परिपथ जिसका प्रतिरोध \(R\) है उसमे लगने वाला चुंबकीय फ्लक्स \(\Delta \phi, \Delta t\) समय में बदल जाता है तो परिपथ में बनने वाला कुल आवेश Q, \(\Delta t\) समय में है

1 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}}\)
2 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}} \times R\)
3 \(Q = - \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}} + R\)
4 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{R}\)
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194461 जब एक \(dc\) मोटर की चाल बढ़ती है तब आर्मेचर धारा

1 बढ़ती है
2 घटती है
3 अपरिवर्तित रहती है
4 लगातार घटती एवं बढ़ती है
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194462 जब डायनेमो में विभक्त वलय द्कि परिवर्तक रिंग लगाई जाती है, तो प्राप्त होती है

1 सरल धारा \((dc)\)
2 प्रत्यावर्ती धारा \( (ac)\)
3 उच्चवाचन दिष्ट धारा \((Fluctuating\, dc)\)
4 उच्चवाचन दिष्ट धारा \((Fluctuating \,dc)\)
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194460 चोक कुण्डली का कार्य सिद्धांत है

1 क्षणिक धारा \((Transient \,current)\)
2 स्व-प्रेरण
3 अन्योन्य प्रेरण
4 वाट रहित धारा
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194245 एक परिपथ जिसका प्रतिरोध \(R\) है उसमे लगने वाला चुंबकीय फ्लक्स \(\Delta \phi, \Delta t\) समय में बदल जाता है तो परिपथ में बनने वाला कुल आवेश Q, \(\Delta t\) समय में है

1 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}}\)
2 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}} \times R\)
3 \(Q = - \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}} + R\)
4 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{R}\)
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194461 जब एक \(dc\) मोटर की चाल बढ़ती है तब आर्मेचर धारा

1 बढ़ती है
2 घटती है
3 अपरिवर्तित रहती है
4 लगातार घटती एवं बढ़ती है
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194462 जब डायनेमो में विभक्त वलय द्कि परिवर्तक रिंग लगाई जाती है, तो प्राप्त होती है

1 सरल धारा \((dc)\)
2 प्रत्यावर्ती धारा \( (ac)\)
3 उच्चवाचन दिष्ट धारा \((Fluctuating\, dc)\)
4 उच्चवाचन दिष्ट धारा \((Fluctuating \,dc)\)
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194460 चोक कुण्डली का कार्य सिद्धांत है

1 क्षणिक धारा \((Transient \,current)\)
2 स्व-प्रेरण
3 अन्योन्य प्रेरण
4 वाट रहित धारा
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194245 एक परिपथ जिसका प्रतिरोध \(R\) है उसमे लगने वाला चुंबकीय फ्लक्स \(\Delta \phi, \Delta t\) समय में बदल जाता है तो परिपथ में बनने वाला कुल आवेश Q, \(\Delta t\) समय में है

1 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}}\)
2 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}} \times R\)
3 \(Q = - \frac{{\Delta \phi }}{{\Delta t}} + R\)
4 \(Q = \frac{{\Delta \phi }}{R}\)
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194461 जब एक \(dc\) मोटर की चाल बढ़ती है तब आर्मेचर धारा

1 बढ़ती है
2 घटती है
3 अपरिवर्तित रहती है
4 लगातार घटती एवं बढ़ती है
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194462 जब डायनेमो में विभक्त वलय द्कि परिवर्तक रिंग लगाई जाती है, तो प्राप्त होती है

1 सरल धारा \((dc)\)
2 प्रत्यावर्ती धारा \( (ac)\)
3 उच्चवाचन दिष्ट धारा \((Fluctuating\, dc)\)
4 उच्चवाचन दिष्ट धारा \((Fluctuating \,dc)\)